वर्ष 2024-25 में 11,063 बच्चे छुड़ाए
तेलंगाना। बाल श्रम और बच्चों की ट्रैफिकिंग से (Child trafficking) जुड़े नेटवर्क के खिलाफ चलाए गए अभियानों में तेलंगाना वर्ष 2024–25 में बाल मजदूरों (Child labourers) को मुक्त कराने के मामले में देश में शीर्ष पर रहा। बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के सहयोगी संगठनों ने इस दौरान कुल 53,651 बाल मजदूरों को मुक्त कराया जिसमें अकेले तेलंगाना में किसी भी राज्य से ज्यादा 11,063 बच्चे छुड़ाए गए।
छापामार कार्रवाइयों में सबसे ज्यादा 7,632 तेलंगाना
जेआरसी के सहयोगी संगठनों की देश के 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 38,388 छापामार कार्रवाइयों में सबसे ज्यादा 7,632 तेलंगाना में हुईं। ये सभी कार्रवाइयां कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सहयोग से की गईं। ये तथ्य जेआरसी के सहयोगी संगठन इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के शोध प्रभाग सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंड बिहेवियर चेंज (सी-लैब) की बाल श्रम के संबंध में एक रिपोर्ट ‘बिल्डिंग द केस फॉर जीरो : हाउ प्रासीक्यूशन एक्ट्स ऐज टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड लेबर’ में उजागर हुए। रिपोर्ट के अनुसार मुक्त कराए गए बच्चों में 90 प्रतिशत उन क्षेत्रों में काम कर रहे थे जिन्हें अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन व भारत सरकार बाल मजदूरी का सबसे बदतरीन स्वरूप मानती है। इनमें स्पा, मसाज पार्लर और आर्केस्ट्रा जैसे तमाम उद्दयोग शामिल हैं जहां बच्चों का बाल वेश्यावृत्ति, चाइल्ड पोर्नोग्राफी या जबरिया अन्य यौन उद्देश्यों से इस्तेमाल किया जाता है।
छापों के बाद 38,388 मामले दर्ज और 5,809 गिरफ्तारियां हुईं
इन छापों के बाद 38,388 मामले दर्ज किए गए और 5,809 गिरफ्तारियां हुईं। इनमें 85 प्रतिशत गिरफ्तारियां बाल मजदूरी के मामलों में हुईं। स्थिति की गंभीरता के मद्देनजर रिपोर्ट में बाल श्रम के खात्मे के लिए एक राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन मिशन शुरू करने, इसके लिए पर्याप्त संसाधनों का आवंटन और जिलों में जिला स्तरीय चाइल्ड लेबर टास्क फोर्स के गठन की सलाह दी गई है।यह रिपोर्ट 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 के बीच देश के 24 राज्यों व केंद्रशासित क्षेत्रों के 418 जिलों में काम कर रहे जेआरसी के 250 से भी ज्यादा सहयोगी संगठनों के बाल श्रम और ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों को मुक्त कराने के लिए की गई छापामार कार्रवाई के आंकड़ों पर आधारित है। रिपोर्ट में Child labour के खात्मे के लिए खास तौर से कानूनी कार्रवाइयों, शिक्षा व पुनर्वास पर जोर देते हुए कई सिफारिशें भी की गईं हैं
बाल श्रम का इस्तेमाल कतई बर्दाश्त नहीं
साथ ही, 18 साल तक मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा से भी बाल श्रम की रोकथाम में मदद मिलेगी क्योंकि पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों के बाल मजदूरी के दलदल में फंसने की संभावना अधिक रहती है। रिपोर्ट में समग्र नीतिगत बदलावों, सरकारी खरीदों में बाल श्रम का इस्तेमाल कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति, खतरनाक उद्योगों की सूची के विस्तार, राज्यों को उनकी विशेष जरूरतों के हिसाब से नीतियां बनाने, बाल मजदूरी के खात्मे के लिए सतत विकास लक्ष्य 8.7 की समयसीमा को 2030 तक बढ़ाने, दोषियों के खिलाफ सख्त व त्वरित कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराने का हमारा राष्ट्रीय संकल्प अभी अधूरा
जेआरसी के राष्ट्रीय संयोजक रवि कांत ने कहा, “इतनी बड़ी संख्या में बच्चों का बाल श्रम के सबसे वीभत्स स्वरूपों में इस्तेमाल यह बताता है कि सरकार व नागरिक समाज के तमाम प्रयासों के बावजूद बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराने का हमारा राष्ट्रीय संकल्प अभी अधूरा है। भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के कन्वेंशन 182 यानी बाल श्रम के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संधि का हस्ताक्षरकर्ता देश है जिसमें बाल श्रम के सभी खतरनाक स्वरूपों को खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई गई है।