जनवरी से अप्रैल की अवधि के दौरान की आयी रिपोर्ट
हैदराबाद। तेलंगाना में साल के पहले 4 महीनों में साइबर अपराध के मामलों में 11 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। तेलंगाना साइबर सुरक्षा ब्यूरो (टीजीएससीबी) की निदेशक शिखा गोयल ने इस कमी का श्रेय जागरूकता, डेटा-संचालित प्रवर्तन और त्वरित कार्रवाई को दिया। शिखा गोयल ने कहा, ‘ब्यूरो इस प्रगति का श्रेय सार्वजनिक जागरूकता पहल, सक्रिय जांच और डेटा एनालिटिक्स और अंतर-एजेंसी सहयोग द्वारा संचालित रणनीतिक संचालन के संयोजन को देता है।’
साइबर अपराधों में होने वाली कुल हानि 2024 की तुलना में 2025 में 19% कम
तेलंगाना में साइबर अपराधों में होने वाली कुल हानि 2024 की तुलना में जनवरी से अप्रैल 2025 तक 19 प्रतिशत कम हुई है। यह पिछली तिमाही (सितंबर से दिसंबर 2024) की तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक की कमी को दर्शाता है। अधिकारी ने कहा, ‘राष्ट्रीय स्तर पर, इसी अवधि में साइबर अपराध से संबंधित वित्तीय घाटे में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। तेलंगाना ने खोए हुए धन की वसूली (पीओएच) के अपने प्रतिशत में 2024 में 13 प्रतिशत से 2025 में 16 प्रतिशत तक सुधार किया है, जिससे बैंकों और प्लेटफार्मों के साथ अधिक प्रभावी शिकायत निवारण और समन्वय का प्रदर्शन हुआ है।’
तीन गुनी हो गई गिरफ्तार व्यक्तियों की संख्या
एफआईआर की संख्या 6,763 (2024) से बढ़कर 7,575 (2025) हो गई, जिससे रूपांतरण दर 18 से 19 प्रतिशत तक सुधर गई, जबकि गिरफ्तार व्यक्तियों की संख्या तीन गुनी हो गई, जो 2024 की शुरुआत में 230 से बढ़कर 2025 में 626 हो गई। शिखा गोयल ने कहा, ‘प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, जिला पुलिस के साथ समन्वय को मजबूत करने और डेटा-समर्थित ट्रैकिंग को अपनाने के लिए टीजीसीएसबी के प्रयासों ने अधिक संख्या में मामलों को बंद करने और साइबर अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।’
साइबर धोखाधड़ी का पता लगाने और लेनदेन को रोकने में सुधार
अधिकारी ने कहा कि राज्यव्यापी जागरूकता अभियान, 1930 चैटबॉट की शुरूआत और बेहतर आईवीआर प्रणाली से रिपोर्टिंग समय कम करने में मदद मिली है, इसके अलावा बैंकों और सेवा प्रदाताओं के साथ वास्तविक समय सहयोग से धोखाधड़ी का पता लगाने और लेनदेन को रोकने में सुधार हुआ है। टीजीएससीबी निदेशक ने कहा, ‘साइबर अपराधियों की कुशलतापूर्वक पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने में प्रवर्तन टीमों की सहायता के लिए उन्नत एनालिटिक्स, डिजिटल प्रोफाइलिंग और ओएसआईएनटी टूल तैनात किए जा रहे हैं।’