स्थानीय लोगों ने कार्रवाई की मांग की
संगारेड्डी। जहीराबाद कस्बे के ड्रीम इंडिया कॉलोनी (Dream india colony) स्थित अपने आवास परिसर में खेलते समय आवारा कुत्तों के झुंड द्वारा हमला किए जाने से आठ वर्षीय बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई। घटना के समय विजय की बेटी निकथा अपने घर के पास अकेली खेल रही थी। उसके माता-पिता उसे घर पर छोड़कर काम पर गए थे। आवारा कुत्तों का एक झुंड घर में घुस आया और उस पर हमला कर दिया।
उसकी चीखें सुनकर स्थानीय लोग उसकी मदद के लिए दौड़े और कुत्तों को भगाया। उसे तुरंत जहीराबाद के सरकारी अस्पताल (Govt. hospital) में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे उन्नत उपचार के लिए हैदराबाद के एक अस्पताल में रेफर कर दिया। निवासियों ने बढ़ते आवारा कुत्तों के खतरे पर रोष व्यक्त किया और नगर निगम अधिकारियों से कुत्तों को स्थानांतरित करने का आग्रह किया, उन्होंने दावा किया कि कॉलोनी में पहले ही कई निवासियों पर हमला हो चुका है।
भारत में कितने आवारा कुत्तों को रेबीज है?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल लाखों कुत्तों को रेबीज का खतरा होता है। अनुमान है कि कुल 6 करोड़ से अधिक आवारा कुत्तों में से हज़ारों में रेबीज के लक्षण पाये जाते हैं। इससे हर साल लगभग 20,000 लोगों की मौत हो जाती है।
भारत में आवारा कुत्ते का क्या नाम है?
इन्हें आमतौर पर ‘इंडियन पैरियाह डॉग’ कहा जाता है। यह एक देशज नस्ल है जो हज़ारों सालों से भारत में पाई जाती है। इन्हें देशी, स्ट्रे या स्ट्रीट डॉग भी कहा जाता है। ये स्वाभाविक रूप से अनुकूलित और मौसम के अनुसार मजबूत होते हैं।
आवारा कुत्तों को कौन पकड़ेगा?
स्थानीय नगर निगम, नगर पंचायत या नगर पालिका इसकी ज़िम्मेदारी निभाती है। ये संस्थाएं नसबंदी और टीकाकरण जैसे कार्यक्रमों के तहत एनजीओ की मदद से कुत्तों को पकड़ती हैं। पशु अधिकारों के नियमों के तहत इन्हें पकड़कर वापस उसी क्षेत्र में छोड़ा जाता है।
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