नई दिल्ली। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को औपचारिक रूप से एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है, जिसमें संवैधानिक निकाय से चुनावी अखंडता और समान अवसर को प्रभावित करने वाली गंभीर चिंताओं का समाधान करने का आग्रह किया गया है। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव (KTR) के नेतृत्व में बीआरएस पार्टी प्रतिनिधिमंडल ने आज नई दिल्ली में चुनाव आयोग के निमंत्रण पर बातचीत के लिए आयोग से मुलाकात की।
बीआरएस प्रतिनिधिमंडल में कई वरिष्ठ नेता शामिल रहे
राज्यसभा सदस्य केआर सुरेश रेड्डी, वद्दीराजू रविचंद्र, पूर्व सांसद बी विनोद कुमार और वरिष्ठ नेता बाल्का सुमन और आरएस प्रवीण कुमार बीआरएस प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे। मुख्य चुनाव आयुक्त को सौंपे गए ज्ञापन में चार प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है: बिहार में चल रहा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर), पार्टी द्वारा मतपत्रों की वापसी का आह्वान, समान मुक्त प्रतीकों का बार-बार दुरुपयोग जो पार्टी की पहचान को कमजोर करता है, और आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन से संबंधित पिछले ज्ञापनों पर कार्रवाई न करना। बीआरएस ने बिहार में मतदाता सूचियों की चल रही एसआईआर (विशेष पंजीकरण सूचना) की असामयिक और लक्षित प्रकृति पर गंभीर आशंकाएँ व्यक्त की हैं।
बीआरएस ने एसआईआर प्रक्रिया को, खासकर चुनावों के मद्देनजर अनुचित बताया
पार्टी ने एसआईआर प्रक्रिया को, खासकर चुनावों के मद्देनजर, अनुचित बताया और आगाह किया कि इससे बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं, खासकर प्रवासी और वंचित समुदायों के मतदाताओं के। बीआरएस पार्टी ने कहा कि आर्थिक जीवनयापन के लिए राज्यों में आने-जाने वाले प्रवासी श्रमिकों का मताधिकार से वंचित होना बेहद चिंताजनक है। मतदाता पात्रता के लिए आधार और मतदाता पहचान पत्र जैसे दस्तावेज़ पर्याप्त होने चाहिए।
बीआरएस ने बिहार में वर्तमान एसआईआर को वापस लेने, अर्धवार्षिक, वैज्ञानिक और पारदर्शी संशोधन प्रक्रियाओं की स्थापना, नाम हटाने या संशोधनों की पुष्टि के लिए बूथ-स्तरीय सर्वदलीय समितियों के गठन और नियमित अंतराल पर मतदाता सूचियों के प्रमुख सार्वजनिक प्रदर्शन की मांग की है।
मताधिकार और मतदाता सूची की वैधता को कमजोर कर सकती है पक्षपातपूर्ण प्रस्तुति
पार्टी ने चेतावनी दी कि असत्यापित मीडिया आख्यानों और पक्षपातपूर्ण प्रस्तुतियों से प्रेरित जल्दबाजी में किए गए संशोधन सार्वभौमिक मताधिकार और मतदाता सूची की वैधता को कमजोर कर सकते हैं। बीआरएस ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के निरंतर उपयोग पर भी अपनी चिंता व्यक्त की, और बढ़ते जन अविश्वास और अंतर्राष्ट्रीय उदाहरणों का हवाला दिया। बीआरएस ने अपने पत्र में उल्लेख किया, “बीआरएस पार्टी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के उपयोग पर संदेह के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करना चाहती है।
पिछले कुछ वर्षों में इस संबंध में कई मीडिया रिपोर्टें सामने आई हैं। कई राजनीतिक दलों, कार्यकर्ताओं और मतदाताओं ने भी ईवीएम के उपयोग को लेकर अपनी चिंताएँ व्यक्त की हैं।” बीआरएस पार्टी ने याद दिलाया कि दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र, अमेरिका, और ब्रिटेन, जापान और जर्मनी जैसे परिपक्व लोकतंत्र राष्ट्रीय चुनावों के लिए ईवीएम का उपयोग नहीं करते हैं।
Bharat Rashtra Samith का चुनाव चिन्ह क्या है?
तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS), जिसे अब Bharat Rashtra Samithi (BRS) कहा जाता है, का चुनाव चिन्ह “कार” (Car) है।
पार्टी की स्थापना कब और कौन‑ने की?
TRS की स्थापना 27 अप्रैल 2001 को K. Chandrashekar Rao (KCR) द्वारा की गई थी।
पार्टी का वर्तमान नाम क्या है और क्यों बदला?
2022 में TRS ने अपना नाम बदलकर Bharat Rashtra Samithi (BRS) कर लिया ताकि राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया जा सके, लेकिन पार्टी ने कार चिन्ह बरकरार रखा।
Read also: BJP: कांग्रेस की धोखेबाज़ी भरी चालों से सावधान रहने की आवश्यकता : भाजपा