रात 10 बजे तक नहीं मिल सका आवंटन
राजन्ना-सिरसिला: सरकारी सचेतक और स्थानीय विधायक (MLA) आदि श्रीनिवास के पैतृक गांव रुद्रंगी मंडल के किसानों को यूरिया की आपूर्ति के लिए शुक्रवार देर रात तक इंतजार करना पड़ा। आसपास के गाँवों से किसान दोपहर से ही रैतु सेवा केंद्र पहुँचने लगे थे, लेकिन रात 10 बजे तक भी उन्हें उनका आवंटन नहीं मिला था। इंतज़ार कर रहे किसानों (Farmers) में कई महिला किसान भी थीं, जिन्होंने कहा कि उनके पास देर रात तक रुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
एक महीने में कई बार लगाना पड़ रहा चक्कर
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले एक महीने में बार-बार रैतु सेवा केंद्र जाने के बावजूद, यूरिया के बैग उपलब्ध नहीं कराए गए। कुछ लोगों ने कहा कि पिछली बीआरएस सरकार के दौरान, के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में उर्वरक और अन्य सामग्री की तुरंत आपूर्ति की जाती थी, लेकिन कांग्रेस के शासन में स्थिति और खराब हो गई है। महिला किसानों ने निराशा व्यक्त करते हुए बताया कि वे अपने बच्चों को घर पर छोड़कर यूरिया लेने के लिए रूद्रंगी आई थीं और उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी देर रात को उनसे अपने गांव लौटने की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
भारत में यूरिया कहाँ से आता है?
देश में यूरिया मुख्य रूप से घरेलू उर्वरक कारखानों से तैयार होता है, जबकि कमी की स्थिति में इसे अन्य देशों से आयात किया जाता है। भारत प्राकृतिक गैस आधारित संयंत्रों में यूरिया का उत्पादन करता है। आयातित यूरिया का स्रोत मुख्यतः चीन, ओमान, सऊदी अरब और कतर जैसे देश होते हैं।
यूरिया का निर्माण किसने किया था?
वैज्ञानिक फ्रेडरिक वोहलर ने 1828 में यूरिया का कृत्रिम निर्माण किया था। उन्होंने अमोनियम सायनेट को गरम करके इसे तैयार किया, जिससे सिद्ध हुआ कि कार्बनिक यौगिकों का निर्माण प्रयोगशाला में संभव है। यह खोज रसायन विज्ञान के इतिहास में महत्वपूर्ण मानी जाती है और आधुनिक कार्बनिक रसायन का आधार बनी।
यूरिया घोटाला क्या था?
यह घोटाला 1996 में सामने आया, जिसमें भारत ने आयातित यूरिया की खरीद में धोखाधड़ी का सामना किया। भुगतान होने के बावजूद, तय की गई मात्रा और गुणवत्ता का यूरिया नहीं मिला। इसमें करोड़ों रुपये की हेराफेरी हुई और यह मामला देश के बड़े आर्थिक घोटालों में गिना गया।
Read Also : Sports Development : खेल मंत्री ने खेल स्कूलों में योग्यता आधारित चयन का किया आह्वान