वन विभाग ने चलाया विशेष अभियान
हैदराबाद। गांधीपेट (Gandhipet) और उसके आसपास के क्षेत्रों में कई हफ्तों से दहशत फैलाने वाले तेंदुए को आखिरकार वन अधिकारियों ने पकड़ लिया है। यह तेंदुआ स्थानीय लोगों के बीच भय और अनिश्चितता का कारण बना हुआ था, जिसके कारण वन विभाग ने विशेष अभियान चलाया। तेंदुए (Leopards) को बुधवार रात गांधीपेट स्थित ‘फॉरेस्ट ट्रेक पार्क’ में लगाए गए एक जाल पिंजरे में पकड़ा गया।
महीने की शुरुआत में हुई थी तेंदुए के देखे जाने की पुष्टि
वन अधिकारियों के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में तेंदुए के देखे जाने की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद इलाके में निगरानी बढ़ा दी गई थी। वन विभाग ने गांडीपेट और आस-पास के कई संवेदनशील स्थानों पर चारा लगाकर विशेष पिंजरे स्थापित किए थे। निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए, ताकि तेंदुए की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। लगातार प्रयासों और सतर्कता के चलते तेंदुआ अंततः एक जाल में फंस गया।
नेहरू प्राणी उद्यान में तेंदुए को किया गया स्थानान्तरित
तेंदुए को पकड़ने के बाद वन विभाग की टीम ने उसे सुरक्षित रूप से हैदराबाद के नेहरू प्राणी उद्यान में स्थानांतरित कर दिया है। वहां पशु चिकित्सकों की टीम उसकी सेहत की जांच कर रही है। अधिकारीयों ने बताया कि तेंदुए को कुछ दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह पूरी तरह स्वस्थ है। इसके बाद उसे वापस जंगल में छोड़ने की योजना है। इस घटना से स्थानीय निवासियों ने राहत की सांस ली है। वन विभाग की तत्परता और कुशलता की सभी सराहना कर रहे हैं। यह सफलता मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
तेंदुआ का दूसरा नाम क्या है?
जंगली बिल्ली प्रजाति के इस शिकारी जानवर को चीतल-बाघ, लेपर्ड या पैंथर भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Panthera pardus है। यह नाम क्षेत्र और भाषा के अनुसार अलग-अलग रूपों में प्रयोग होता है, लेकिन सभी एक ही प्रजाति को दर्शाते हैं।
भारत में कितने तेंदुए हैं?
2022 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में तेंदुओं की अनुमानित संख्या लगभग 13,800 से अधिक थी। मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे राज्यों में इनकी सबसे बड़ी आबादी पाई जाती है। तेंदुआ संरक्षण के प्रयासों से इनकी संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है।
तेंदुआ की उम्र कितनी होती है?
प्राकृतिक जंगलों में तेंदुआ औसतन 12 से 17 वर्ष तक जीवित रहता है। जबकि संरक्षण या चिड़ियाघर जैसे नियंत्रित वातावरण में इसकी उम्र बढ़कर 20 साल तक भी हो सकती है। इसकी उम्र भोजन, आवास और सुरक्षा जैसे कारकों पर निर्भर करती है।
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