Hyderabad : किराए के परिसर में चल रहे हैं सरकारी स्कूल

By Kshama Singh | Updated: June 16, 2025 • 9:58 PM

कई स्कूल स्थायी भवन का कर रहे इंतजार

हैदराबाद। गरीब से गरीब व्यक्ति को शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने के लिए भारी बजट खर्च किए जाने के बावजूद, शहर के पुराने हिस्सों में स्थित कई स्कूल को स्थायी भवन नहीं मिल पाए हैं और वे किराए के परिसर में चल रहे हैं। दशकों से कई स्कूल किराए के भवनों में चल रहे हैं, जिनका निर्माण परिवारों की सुविधा के लिए किया गया था, जिसकी सामाजिक कार्यकर्ताओं और अभिभावकों द्वारा आलोचना की जा रही है। नामपल्ली मंडल के सरकारी प्राथमिक विद्यालय बाज़ार-ए-जुमेरात का मामला देखें। यह विद्यालय 1975 से किराए के भवन में चल रहा है और सरकार संपत्ति मालिकों को किराया देती है।

हर महीने 25,580 रुपये और 35,052 रुपये किराया दे रही है सरकार

अधिवक्ता सह सामाजिक कार्यकर्ता सैयद नबी ने दुख जताते हुए कहा, ‘पिछले 50 वर्षों में सरकार इस प्राथमिक विद्यालय के लिए भवन बनवाने में विफल रही। यह पुराने शहर में शैक्षणिक सुविधाएं प्रदान करने के प्रति शिक्षा विभाग की गंभीरता को दर्शाता है।’ बंदलागुडा, चारमीनार, बहादुरपुरा मंडलों में कई स्कूल हैं जो निजी भवनों में संचालित होते हैं। सरकारी गर्ल्स हाई स्कूल कोटला अलीजा और सरकारी प्राइमरी स्कूल ईरानी गली, दोनों ही स्कूल 1995 से निजी भवनों में चल रहे हैं और राज्य सरकार हर महीने 25,580 रुपये और 35,052 रुपये किराया दे रही है। आरटीआई कार्यकर्ता एसक्यू मसूद ने कहा, ‘लगभग 30 साल हो गए हैं और अधिकारी अपना भवन बनाने के लिए जगह नहीं ढूंढ पाए हैं। कल्पना कीजिए कि छात्र बिना उचित वेंटिलेशन और खेल के मैदानों के तंग कमरों में कक्षाएं लेते हैं।’

स्कूल में शौचालय की कमी, पेयजल का अभाव

बहादुरपुरा I और बहादुरपुरा II मंडलों में कम से कम 30 स्कूल किराए के भवनों में चल रहे हैं, जबकि चारमीनार और बंदलागुडा मंडलों में 12 से अधिक विद्यालय किराए के भवनों में चल रहे हैं। ज़ैनब उन्नीसा ने शिकायत की, जो एक गृहिणी हैं और उनके पति एक ऑटो चालक हैं, ‘अपर्याप्त शौचालय, पीने के पानी की सुविधा और खराब वेंटिलेशन जैसी खराब सुविधाओं के कारण हमारे बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं जाना चाहते। इसके बजाय वे घर पर रहना पसंद करते हैं या चाहते हैं कि हम किसी निजी स्कूल में दाखिला ले लें।’

स्कूल

बकाया किराया चुकाने में भी विफल रही सरकार

सरकार इमारतों का बकाया किराया चुकाने में भी विफल रही है और स्कूल के प्रधानाध्यापकों पर बकाया चुकाने का दबाव है। कई स्कूल प्रधानाध्यापकों ने शिकायत की है कि संपत्ति के मालिक उनसे किराया न चुकाने के कारण इमारतें खाली करने के लिए कह रहे हैं। सरकारी हाई स्कूल चिंतलगुडा, खैरताबाद को 50.51 लाख रुपये का बकाया चुकाना है और आखिरी बार किराया सितंबर 2022 में चुकाया गया था। मजलिस बचाओ तहरीक के प्रवक्ता अमजदुल्ला खान ने कहा, ‘भवन किराए के रूप में दी गई राशि का उपयोग करके सरकार भवन खरीद सकती थी या भूमि अधिग्रहण के बाद निर्माण कर सकती थी। शैक्षिक सुविधाओं के विस्तार की बात करें तो कोई गंभीरता नहीं है।’

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