Patient : भारत में पहली बार किसी गरीब मरीज को सुपर अर्जेंट श्रेणी में लाभ मिला

By Ajay Kumar Shukla | Updated: July 19, 2025 • 12:11 AM

हैदराबाद। हैदराबाद के फिल्म नगर की रहने वाली मरीज 17 वर्षीय लड़की, मिस ब्लेसी गौड़, गंभीर और नाजुक हालत (Gasping State) के साथ उस्मानिया जनरल अस्पताल (Osmania General Hospital) आई थी। उसे 12 मई को एक्यूट फुलमिनेंट लिवर फेल्योर के साथ सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी आईसीयू में भर्ती कराया गया था। ग्रेड 4 हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी/कोमा के कारण उसे इंट्यूबेशन किया गया और वेंटिलेटर से जोड़ा गया।

पीलिया के साथ 5 दिनों तक बुखार रहने का इतिहास रहा

मरीज का पीलिया के साथ 5 दिनों तक बुखार रहने का इतिहास है। शुरुआत में उसे एक निजी अस्पताल में दिखाया गया था, लेकिन उसकी बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति और आर्थिक तंगी के कारण उसे उस्मानिया लाया गया। अस्पताल के डाक्टरों के मुताबिक उसे गहरा पीलिया (सीरम बिलीरुबिन 23 मिग्रा/डेसीलीटर था), कोगुलोपैथी (रक्त का थक्का नहीं जम रहा था) के साथ INR 11, लैक्टेट 7.3 (मेटाबोलिक एसिडोसिस) और ग्रेड 4 हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी थी। लिवर की बीमारी या लक्षणों का कोई इतिहास नहीं था। वह आपातकालीन लिवर प्रत्यारोपण के लिए किंग्स कॉलेज के मानदंडों को पूरा कर रही थी

मरीज के परिवार में कोई योग्य डोनर नहीं था

लिविंग डोनर लिवर प्रत्यारोपण कराने के बारे में सोचा, लेकिन उनके परिवार में कोई योग्य डोनर नहीं था। कोई अन्य भाई-बहन नहीं है और एकल अभिभावक हैं। उसकी माँ एक दर्जी के रूप में काम करती है और चिकित्सा समस्या से पीड़ित है। उसे 48 घंटों के भीतर तत्काल लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता है अन्यथा वह मर जाएगी। सामान्य तौर पर, यदि आप जीवन दान में कैडेवर लिवर ऑर्गन के लिए वैकल्पिक सूची में पंजीकरण करते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका (UNOS), ब्रिटेन और यूरोप जैसे देशों में ऐसे मामलों को प्राथमिकता

संयुक्त राज्य अमेरिका (UNOS), ब्रिटेन और यूरोप जैसे देशों में ऐसे मामलों को अति आवश्यक श्रेणी में प्राथमिकता दी जाती है। हमारे देश (नोट्टो) और हमारे राज्य (जीवनदान) में भी एक्यूट फुलमिनेंट लिवर फेलियर के मामलों के लिए ऐसी अति आवश्यक श्रेणी आवंटन नीति/जीवनरक्षक लिवर आवंटन नीति है। इस श्रेणी के अंतर्गत, जब भी जीवनदान को सहायक दस्तावेजों/जांच के साथ इलाज करने वाले अस्पताल से “अति आवश्यक श्रेणी” का अनुरोध प्राप्त होता है, तो लिवर विशेषज्ञ समिति इसकी समीक्षा करेगी और कैडेवर लिवर आवंटन के लिए स्वीकृति देगी।

जीवनदान की मदद से आपातकालीन लिवर प्रत्यारोपण

48 घंटों के भीतर, जहाँ भी या जिस भी अस्पताल में ब्रेन डेड डोनर होगा, ऐसे मरीज का लिवर जीवन रक्षक उपाय के रूप में अति आवश्यक श्रेणी के मरीज को प्राथमिकता से आवंटित किया जाएगा। अस्पताल के डाक्टरों ने कहा कि सरकारी अस्पताल के इतिहास में पहली बार, हमने जीवनदान की मदद से अति आवश्यक श्रेणी के तहत एक्यूट फुलमिनेंट लिवर फेलियर के लिए आपातकालीन लिवर प्रत्यारोपण किया।

स्वस्थ होकर बी.टेक प्रथम वर्ष की परीक्षा दे रही है मरीज

ब्रेन डेड डोनर किसी अन्य निजी/कॉर्पोरेट अस्पताल से था। हमने 14 मई को लिवर ट्रांसप्लांट किया। मरीज़ बहुत अच्छी तरह से ठीक हो गई और 2 हफ़्ते बाद उसे स्वस्थ अवस्था में छुट्टी दे दी गई। अब वह अपनी बी.टेक प्रथम वर्ष की परीक्षा दे रही है। डाक्टरों कहा कि सभी को ऐसी मरणासन्न मरीज़ की मदद करके बहुत खुशी हुई।

उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल का मालिक कौन है?

यह हॉस्पिटल तेलंगाना सरकार द्वारा संचालित है।

उस्मानिया हॉस्पिटल का नया प्लान क्या है?

तेलंगाना सरकार ने अस्पताल के पुनर्निर्माण और आधुनिकीकरण की योजना बनाई है।

उस्मानिया हॉस्पिटल के प्रिंसिपल कौन है?

इस हॉस्पिटल से जुड़ी Osmania Medical College (OMC) के वर्तमान प्रिंसिपल डॉ. M. Raja Rao है।

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