Madvi Hidma : देश में दो दशकों से सुरक्षा बलों पर सबसे भीषण हमलों को अंजाम देने वाले कुख्यात नक्सली कमांडर मदवी हिड़मा को सुरक्षा बलों ने मंगलवार सुबह आंध्र प्रदेश–छत्तीसगढ़ सीमा पर एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया। अधिकारियों के मुताबिक यह CPI (माओवादी) के खिलाफ हाल के वर्षों में सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।
आंध्र प्रदेश पुलिस प्रमुख हरीश कुमार गुप्ता ने बताया कि सुबह 6 बजे शुरू हुई गोलीबारी करीब एक घंटे तक चली।
इस एनकाउंटर में छह नक्सली मारे गए, जिनमें से एक के हिड़मा होने की पुष्टि की जा रही है। (Madvi Hidma) क्षेत्र में तलाशी अभियान जारी है और हथियार बरामद किए जा रहे हैं।
मदवी हिड़मा – एक नक्सली कमांडर बनने की कहानी
मदवी हिड़मा का जन्म 1981 में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पुरवती गांव में हुआ था। जंगलों की गहरी जानकारी, शारीरिक क्षमता और आक्रामक स्वभाव के कारण वह जल्द ही नक्सलियों के नेतृत्व की नजर में आ गया।
उसके बाद वह पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) में शामिल हुआ और तेज़ी से ऊँचे पदों पर पहुंचा।
कुछ ही समय में वह PLGA बटालियन नंबर 1 का कमांडर बन गया—जो दंडकारण्य के घने जंगलों में सक्रिय माओवादी संगठन का सबसे ख़तरनाक और मोबाइल यूनिट है।
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लगभग 20 सालों तक हिड़मा नक्सली संगठन की सैन्य रणनीति का मुख्य चेहरा बना रहा। (Madvi Hidma)
अबूझमाड़, सुकमा-बीजापुर और दंडकारण्य के जंगलों में उसकी पकड़ इतनी मज़बूत थी कि उसे दक्षिण बस्तर का सबसे खतरनाक ऑपरेशनल कमांडर माना जाता था।
संगठन के भीतर भी उसे दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी के सचिव के पद तक पहुंचाया गया — जो माओवादी संगठन की प्रमुख निर्णय लेने वाली इकाइयों में से एक है।
अधिकारियों का कहना है कि वह 130–150 सशस्त्र नक्सलियों की टीम का नेतृत्व करता था।
पिछले 20 वर्षों के लगभग हर बड़े नक्सली हमले में शामिल
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार हिड़मा का नाम भारत में हुए सबसे बड़े नक्सली हमलों की सूची में बार–बार आता है।
इन प्रमुख हमलों में उसकी भूमिका रही:
- 2010 दंतेवाड़ा हमला
- 2013 दरभा घाटी हमला – कांग्रेस नेताओं की मौत
- 2017 सुकमा के दोहरे हमले
- 2021 तर्रेम हमला (बीजापुर)
- 2011 ताड़मेटला हमला – CRPF के 75 जवान शहीद
उस पर कुल इनामी राशि ₹1 करोड़ से अधिक घोषित थी और वह NIA की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल था।
अप्रैल 2025 में कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में हुए बड़े एनकाउंटर से वह बाल–बाल बच निकला था, जिसमें 31 नक्सली मारे गए थे।
मिशन 2026 के तहत माओवादी अड्डों पर कड़ा प्रहार
केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे मिशन 2026 — जिसका उद्देश्य बस्तर में बचे अंतिम माओवादी गढ़ों को खत्म करना है — के दौरान हिड़मा का मारा जाना एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है।
बस्तर रेंज के IG सुंदरराज पी ने इसे “निर्णायक चरण” बताते हुए कहा:
“कई पूर्व नक्सली मुख्यधारा में लौट चुके हैं। बाकी सदस्यों से भी आत्मसमर्पण की अपील है। हिंसा जारी रखने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
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