Latest News : उल्लू के अंडों की सुरक्षा के लिए तेलंगाना में खनन रोक

By Surekha Bhosle | Updated: December 5, 2025 • 4:43 PM

तेलंगाना के विकाराबाद जिले में इंसान और पक्षी के बीच (Coordination) कोर्डिनेशन की एक अनोखी मिसाल देखने को मिली है. यहां एक पत्थर खदान के कर्मचारियों और मालिक ने एक दुर्लभ रॉक चील उल्लू के अंडों की सेफ्टी को देखते हुए एक महीने तक खनन कार्य पूरी तरह रोकने का फैसला किया है, ताकि उल्लू सुरक्षित तरीके से अपने अंडों को से सकें. वन विभाग के कर्मचारी उल्लू और उसके अंडों की निगरानी कर रहे हैं।

तेलंगाना जिला वन अधिकारी ज्ञानेश्वर ने बताया कि वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर मनोज कुमार विट्टापु ने इस दुर्लभ रॉक चील उल्लू और उसके पांच अंडों की मौजूदगी की जानकारी तेलंगाना की प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) सी.सुवर्णा को दी थी. विट्टापु ने बताया था कि उन्होंने छह दिन पहले विकाराबाद के येनकथला घास के मैदान का दौरा किया था, जहां उन्हें एक खदान में दुर्लभ उल्लू और उसके अंडे दिखे थे

खदान का काम किया बंद

पीसीसीएफ से जानकारी मिलते ही जिला वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई, जहां उल्लू ने अपने अंडों के लिए घर बनाया हुआ था. उन्होंने तुरंत खदान मालिक लक्ष्मण रेड्डी को पक्षी और उसके पांच अंडों के होने की जानकारी दी. साथ ही यह भी बताया कि यह उल्लू कितना दुर्लभ है. वन विभाग की बातों को गंभीरता से समझाने के बाद रेड्डी ने अंडों के चूजे बनने और फिर उनके ठीक से उड़ने लायक नहीं होने तक खदान बंद करने का फैसला लिया है।

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15 दिनों में अंडे से बाहर आएंगे चूजे

वन अधिकारियों के अनुसार, अंडों से अगले 15 दिनों में चूजों के निकलने की संभावना है और 20 से 25 दिनों में वे उड़ने में भी सक्षम हो सकते हैं. विट्टापु ने कहा कि यदि उस समय खनन जारी रहता तो अंडे टूट सकते थे. खदान मालिक के काम बंद करने के फैसले की चर्चा चारों तरफ हो रही है. वन विभाग के कार्मचारियों लगातार उल्लू की निगरानी कर रहे हैं।

उल्लू के कितने अंडे होते हैं?

बार्न उल्लू कितने अंडे देते हैं? आमतौर पर 4-6 अंडे दिए जाते हैं। औसत 4.7 है, और साल के शुरू में दिए गए अंडे आमतौर पर बाद में दिए गए अंडों से बड़े होते हैं। हालाँकि, सभी अंडे नहीं फूटते (औसतन 4 अंडे), क्योंकि कुछ बांझ हो सकते हैं।

उल्लू का प्रिय भोजन क्या है?

उल्लू कई तरह के छोटे जानवरों को खाते हैं, जिनमें चूहे, मेंढक, पक्षी, गिलहरी, साँप, मछलियाँ और छिपकलियाँ शामिल हैं। वे अक्सर इन शिकारों को पूरा निगल जाते हैं।

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