News Hindi : मेडारम मंदिर के विकास के दौरान अखंडता बनी रहेगी : मंत्री

By Ajay Kumar Shukla | Updated: September 24, 2025 • 12:18 PM

मुलुगु : पंचायत राज मंत्री (Panchayat Raj Minister) सीतक्का ने स्पष्ट किया है कि मुलुगु जिले में स्थित सम्मक्का-सरलम्मा (Sammakka-Saralamma) मंदिर की मूल संरचना को संरक्षित रखा जाएगा और कोई भी विकास कार्य पुजारियों के परामर्श और उनकी अनुमति से किया जाएगा। मंगलवार को मुलुगु में एक जनसभा के दौरान, सीतक्का ने कहा कि अगले एक हज़ार वर्षों तक, देवी सम्मक्का और सरलम्मा के प्रति श्रद्धा, उनके अनुयायियों की भक्ति के साथ, फलती-फूलती रहेगी और नियोजित विकास के साथ, मंदिर इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता रहेगा।

मेडारम की मान्यता हज़ार वर्षों तक बनी रहे : मंत्री

“इस क्षेत्र के निवासी सौभाग्यशाली हैं कि मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने मंदिर आदिवासी रीति-रिवाजों और परंपराओं से जुड़ी निर्माण परियोजनाओं का शुभारंभ करने के लिए यहाँ का दौरा किया। उन्होंने मेडारम के लिए एक विकास योजना को मंजूरी दी है जो देवी सम्मक्का सरलम्मा के बलिदान का सम्मान करती है और उनके भक्तों की आस्था को दर्शाती है। मैं मुख्यमंत्री से अनुरोध करना चाहती थी कि मेडारम की मान्यता हज़ार वर्षों तक बनी रहे, इसके लिए विकास कार्य आगे बढ़ाएँ

मेरी अपील से पहले ही सीएम विकास कार्यों को आगे ब़ढाने के लिए तैयार

हालाँकि, मेरी अपील से पहले ही रेवंत रेड्डी आगे आए और मेडारम मंदिर के विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हुए।,” मंत्री ने लोगों से मेडारम मंदिर के विकास में सहयोग देने का आग्रह किया और सभी से आगामी महा जतरा की सफलता में योगदान देने का अनुरोध किया।

मेडारम का इतिहास क्या है?

मेदाराम तेलंगाना राज्य के मुलुगु जिले में स्थित एक आदिवासी गाँव है, जो विशेष रूप से सम्मक्का और सरलम्मा नामक आदिवासी देवियों के मंदिर और वहां आयोजित मेदाराम जठारा के लिए प्रसिद्ध है।
यह स्थल कोया आदिवासी समुदाय की धार्मिक आस्था का केंद्र है।

मे़डारम जातरा festival क्या है?

मेदाराम जठारा भारत का सबसे बड़ा आदिवासी त्योहार है और इसे हर 2 वर्ष में एक बार (Biennial Festival) माघ मास (जनवरी-फरवरी) में आयोजित किया जाता है।
यह त्योहार सम्मक्का और सरलम्मा देवियों के बलिदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।

मेडारम में गुड़ क्यों चढ़ाया जाता है?

गुड़ (jaggery) को सम्मक्का और सरलम्मा को चढ़ाना एक प्राचीन आदिवासी परंपरा है।

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