हरीश राव ने परियोजना में जताया बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का संदेह
हैदराबाद। पूर्व मंत्री और वरिष्ठ बीआरएस नेता टी हरीश राव ने हिमाचल प्रदेश में टीजी जेनको के माध्यम से 510 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना बनाने के राज्य सरकार के फैसले पर गंभीर चिंता जताई और इसे तुगलकी शैली की भूल बताया। उन्होंने परियोजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का संदेह जताया और मांग की कि सरकार 6,200 करोड़ रुपये की परियोजना पर श्वेत पत्र जारी करे।
हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ समझौता ज्ञापन को कैसे उचित ठहराएंगे? : हरीश
उन्होंने सवाल किया, ‘जबकि रेवंत रेड्डी लगातार दावा कर रहे हैं कि राज्य दिवालिया हो चुका है, तो वह विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार किए बिना हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ समझौता ज्ञापन को कैसे उचित ठहराएंगे?’ उन्होंने खुलासा किया कि 26 करोड़ रुपये पहले ही अग्रिम प्रीमियम के रूप में चुकाए जा चुके हैं, और व्यवहार्यता अध्ययन या बोर्ड की मंजूरी के अभाव के बावजूद 26 करोड़ रुपये और दिए जाने हैं।
तकनीकी बाधाओं का हवाला देते हुए 2022 में पीछे हट गई
हरीश राव चाहते थे कि कांग्रेस सरकार बताए कि वह मोजरबेयर और सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख कंपनी एनटीपीसी जैसी निजी दिग्गज कंपनियों द्वारा छोड़ी गई परियोजना को क्यों आगे बढ़ा रही है। उन्होंने बताया, ‘मोजरबेयर ने 2009 में इस परियोजना को शुरू करने के लिए हस्ताक्षर किए थे, लेकिन इसे अव्यवहारिक पाए जाने के बाद पीछे हट गई। यहां तक कि हिमाचल उच्च न्यायालय ने भी राज्य को कंपनी के बाहर निकलने के बाद मोजरबेयर के 64 करोड़ रुपये के निवेश को ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया। एनटीपीसी ने भी भारी बर्फबारी और तकनीकी बाधाओं का हवाला देते हुए 2022 में पीछे हट गई।’
20 सालों में किसी ने छुआ तक नहीं
पूर्व मंत्री ने मांग की कि उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क एक श्वेत पत्र जारी करें जिसमें लंबे समय से बंद पड़े 6,200 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले प्रोजेक्ट को शुरू करने के पीछे के औचित्य और वित्तीय तर्क को स्पष्ट किया जाए। उन्होंने पूछा, ‘टीजी जेनको एक ऐसा प्रोजेक्ट क्यों शुरू कर रहा है जिसे 20 सालों में किसी ने छुआ तक नहीं?’
6,200 करोड़ रुपये कहां से आ रहे हैं? : हरीश
हरीश राव ने कांग्रेस सरकार पर दूसरे राज्यों की अव्यवहारिक परियोजनाओं में निवेश करने का आरोप लगाया और दावा किया कि तेलंगाना के लोगों से किए गए वादों को पूरा करने के लिए उनके पास कोई धन नहीं है। उन्होंने सवाल किया, ‘उनका दावा है कि कृषि ऋण माफी, रैतु बंधु, पेंशन, छात्र शुल्क प्रतिपूर्ति या महालक्ष्मी योजना के लिए कोई पैसा नहीं है। फिर 6,200 करोड़ रुपये कहां से आ रहे हैं?’
कथित घोटाले का पर्दाफाश करने की खाई कसम
इसे ‘कांग्रेस-टू-कांग्रेस डील’ बताते हुए उन्होंने तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व से जवाब मांगा। उन्होंने कहा, ‘लोगों को यह जानने का हक है कि इस दुस्साहस से किसको फायदा हुआ है।’ उन्होंने जल्द ही सबूतों के साथ कथित घोटाले का पर्दाफाश करने की कसम खाई।
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