केटीआर ने तेलंगाना कांग्रेस मॉडल पर किया कटाक्ष
हैदराबाद : बीआरएस (BRS) के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव (KTR) ने कांग्रेस पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह पिछड़ी जातियों के आरक्षण पर दिल्ली में हुए धरने को अपनी उपलब्धि बता रही है और केंद्र पर दोष मढ़ रही है, जबकि कामारेड्डी पिछड़ी जाति घोषणापत्र के वादों को अपने अधिकार क्षेत्र में लागू करने का कोई प्रयास नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के शब्दकोश में झूठ ही उपलब्धियाँ हैं, अर्धसत्य ही उत्सव का आह्वान है और घोषणाओं की जगह छल-कपट ने ले ली है। राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए रामा राव ने कहा कि घोषणापत्र में से एक भी वादा पूरा किए बिना जश्न मनाना शर्मनाक है।
1 लाख करोड़ रुपये में से आवंटित की शून्य धनराशि
उन्होंने पूछा, ‘जब आप 42 प्रतिशत पिछड़े वर्गों के आरक्षण के लिए संवैधानिक मंज़ूरी का इंतज़ार कर रहे हैं , तो बाकी आरक्षण क्यों नहीं लागू कर देते? क्या आपको अपने वादे के मुताबिक़ सरकारी नागरिक और रखरखाव के ठेकों में 42 प्रतिशत पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने के लिए अनुमुला बंधुओं की मंज़ूरी की ज़रूरत है?’ बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष ने बताया कि दो बजट पेश करने के बावजूद, कांग्रेस ने बीसी कल्याण के लिए वादा किए गए 1 लाख करोड़ रुपये में से शून्य धनराशि आवंटित की, बीसी युवाओं को 10 लाख रुपये देने में विफल रही, और 50 करोड़ रुपये के साथ वादा किए गए प्रोफेसर जयशंकर बीसी ऐक्यथा भवन पर काम शुरू नहीं किया। उन्होंने आगे कहा, ‘आपकी सरकार कामारेड्डी घोषणापत्र को लागू करने की बजाय उसके विज्ञापन पर ज़्यादा खर्च करती है।
तेलंगाना में हिंदुओं की आबादी कितनी है?
राज्य की कुल जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी लगभग 85% है। शेष जनसंख्या में मुस्लिम, ईसाई और अन्य धर्म के लोग शामिल हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में हिंदुओं का अनुपात अधिक है, जबकि शहरी क्षेत्रों में धार्मिक विविधता अपेक्षाकृत अधिक देखने को मिलती है।
तेलंगाना का पुराना नाम क्या था?
राज्य बनने से पहले यह क्षेत्र आंध्र प्रदेश का हिस्सा था और इसे तेलंगाना क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। ऐतिहासिक रूप से यह निज़ाम के हैदराबाद राज्य का महत्वपूर्ण भाग रहा है, जिसे 1948 में भारत में विलय किया गया था।
तेलंगाना का मुख्य धर्म कौन सा है?
राज्य में हिंदू धर्म सबसे अधिक प्रचलित है और अधिकांश जनसंख्या इससे जुड़ी हुई है। इसके अलावा मुस्लिम समुदाय भी बड़ी संख्या में मौजूद है, विशेषकर हैदराबाद और उसके आसपास के क्षेत्रों में, जहां धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता देखने को मिलती है।
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