Kottagudem : मोबाइल कोर्ट में स्थायी न्यायाधीश की नियुक्ति का आग्रह

By Kshama Singh | Updated: August 9, 2025 • 9:15 PM

भद्राचलम बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने की मांग

कोत्तागुडेम: भद्राचलम बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कोटा देवदानम ने संबंधित अधिकारियों से भद्राचलम उप-विभागीय मजिस्ट्रेट अदालत (Mobile Court) के लिए एक स्थायी न्यायाधीश (Permanent Judge) की नियुक्ति के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों से प्रभारी न्यायाधीश इस पद की देखभाल कर रहे थे। देवदानम ने बार एसोसिएशन के सदस्यों के साथ विधायक डॉ. तेलम वेंकट राव को एक ज्ञापन सौंपा , जिसमें एजेंसी क्षेत्र के 28 मंडलों में जनता के लिए शीघ्र नागरिक न्याय सुनिश्चित करने हेतु इस मुद्दे का समाधान करने का आग्रह किया गया

एलटीआर मामलों का निपटारा मुश्किल

पिछले एक साल से रिक्त पड़े सहायक सरकारी वकील के पद को भरा जाना चाहिए। भद्राचलम में भूमि हस्तांतरण विनियमन (एलटीआर) मामलों के निपटारे के लिए सृजित विशेष उप-कलेक्टर का पद भी रिक्त है। इसके परिणामस्वरूप एजेंसी क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण एलटीआर मामलों का निपटारा मुश्किल हो गया है। इसलिए इस पद को तुरंत भरा जाना चाहिए, उन्होंने कहा।

विधायक वेंकट राव ने बार एसोसिएशन के अनुरोध पर दी सकारात्मक प्रतिक्रिया

1924 के एजेंसी अधिनियम के अनुसार, भद्राचलम मोबाइल कोर्ट का आर्थिक क्षेत्राधिकार पिछले 100 वर्षों से 5,000 रुपये तक सीमित रहा है। देवदानम ने कहा कि इसे मैदानी क्षेत्रों के कनिष्ठ सिविल न्यायाधीश के आर्थिक क्षेत्राधिकार के समान बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायक वेंकट राव ने बार एसोसिएशन के अनुरोध पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी तथा राज्य सरकार और संबंधित प्राधिकारियों के ध्यान में लाकर मुद्दों का समाधान करने का आश्वासन दिया।

भारत में मोबाइल कोर्ट का जनक कौन था?

देश में मोबाइल कोर्ट की अवधारणा को सबसे पहले हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने लागू किया था। इसका उद्देश्य ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में लोगों को न्यायिक सेवाएं उनके स्थान पर ही उपलब्ध कराना था, जिससे समय और संसाधन दोनों की बचत हो सके।

ई-कोर्ट क्या है?

डिजिटल तकनीक की मदद से न्यायिक कार्यवाही को ऑनलाइन संचालित करने वाली प्रणाली को ई-कोर्ट कहा जाता है। इसमें केस की फाइलिंग, सुनवाई, और दस्तावेज़ों का आदान-प्रदान इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है। इससे पारदर्शिता, गति और सुविधा में वृद्धि होती है।

भारत में पहला इंटरनेट न्यायालय कौन सा था?

देश का पहला इंटरनेट न्यायालय 2019 में गुजरात के अहमदाबाद जिले में स्थापित हुआ था। इसे विशेष रूप से छोटे मामलों की तेज सुनवाई और डिजिटल साक्ष्यों के उपयोग के लिए शुरू किया गया। यह पूरी तरह ऑनलाइन कार्यप्रणाली पर आधारित था और वर्चुअल प्लेटफॉर्म से संचालित होता था।

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