बीआरएस विधायकों की अयोग्यता का मामला
हैदराबाद। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष (Telangana Legislative Assembly Speaker) को निर्देश दिया कि वे बीआरएस के 10 विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर तीन महीने के भीतर फैसला करें, जो सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर यह आदेश पारित किया गया। न्यायालय ने तेलंगाना उच्च न्यायालय (HC) की खंडपीठ के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष को चार सप्ताह के भीतर सुनवाई का कार्यक्रम तय करने के एकल पीठ के निर्देश को रद्द कर दिया गया था।
देरी से संबंधित तीन मामलों में सुनाया फैसला
कानूनी समाचार पोर्टल के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने तेलंगाना में बीआरएस विधायकों के सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में शामिल होने और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा परिणामी अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में देरी से संबंधित तीन मामलों में फैसला सुनाया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अध्यक्ष विधायकों को कार्यवाही में देरी करने की अनुमति नहीं देंगे और चेतावनी दी कि कार्यवाही को लंबा खींचने का कोई भी प्रयास केवल प्रतिकूल निष्कर्ष ही निकालेगा।
कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आया निर्देश
पीठ ने कहा कि वह अयोग्यता याचिकाओं को विधानसभा के कार्यकाल के दौरान लंबित रहने की अनुमति नहीं दे सकती, जिससे दलबदलुओं को देरी का लाभ मिल सके। सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्देश अध्यक्ष से समयबद्ध निर्णय की मांग करने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आया। न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अयोग्यता के मामलों को अध्यक्ष या सभापति को सौंपने का उद्देश्य अदालतों में होने वाली लंबी देरी से बचना है। न्यायालय ने यह भी कहा कि संसद ने शीघ्र निपटान के लिए अध्यक्ष को शक्तियाँ प्रदान करके एक त्वरित व्यवस्था की परिकल्पना की थी।
तेलंगाना में सबसे बड़ा धर्म कौन सा है?
राज्य की कुल जनसंख्या में हिंदू धर्म मानने वालों की संख्या सबसे अधिक है। अधिकांश लोग देवी-देवताओं की पूजा, मंदिरों में दर्शन और पारंपरिक पर्वों का पालन करते हैं। मुस्लिम और ईसाई समुदाय भी यहाँ महत्वपूर्ण उपस्थिति रखते हैं, लेकिन बहुसंख्यक धर्म हिंदू है।
तेलंगाना का पुराना नाम क्या था?
इतिहास में यह क्षेत्र हैदराबाद राज्य या तेलुगु भाषी क्षेत्र के रूप में जाना जाता था। निज़ाम शासन के दौरान यह हैदराबाद रियासत कहलाता था। बाद में इसे आंध्र प्रदेश में मिलाया गया और 2014 में यह अलग होकर तेलंगाना नाम से राज्य बना।
तेलंगाना में हिंदुओं की आबादी कितनी है?
2021 के अनुमानित आँकड़ों के अनुसार, तेलंगाना की कुल जनसंख्या का लगभग 85% हिस्सा हिंदू है। मुस्लिम समुदाय लगभग 12% और ईसाई लगभग 1–2% हैं। जनगणना 2011 के अनुसार, हिंदुओं की संख्या करीब 2.94 करोड़ थी, जो अब और बढ़ चुकी है।
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