Hyderabad : राशन कार्ड वितरण कार्यक्रम में बीआरएस और कांग्रेस नेताओं के बीच तनाव

By Kshama Singh | Updated: August 2, 2025 • 12:59 AM

भ्रामक दावा करने का लगाया आरोप

हैदराबाद। हैदराबाद के बंजारा भवन (Banjara Bhawan) में शुक्रवार को राशन कार्ड वितरण कार्यक्रम उस समय तनावपूर्ण हो गया जब परिवहन मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने आरोप लगाया कि पिछली बीआरएस सरकार ने साढ़े नौ साल में एक भी राशन कार्ड जारी नहीं किया। बीआरएस एमएलसी दासोजू श्रवण (Dasoju Shravan) और अन्य पार्षदों ने मंत्री के भाषण को बीच में ही रोक दिया और उन पर भ्रामक दावे करने का आरोप लगाया

एक भी राशन कार्ड नहीं किया था जारी

लाभार्थियों को संबोधित करते हुए, मंत्री ने आरोप लगाया कि पिछली बीआरएस सरकार ने अपने साढ़े नौ साल के शासनकाल में एक भी राशन कार्ड जारी नहीं किया था। इस पर श्रवण और स्थानीय पार्षदों सहित बीआरएस नेताओं ने तुरंत विरोध प्रदर्शन किया। हंगामे के बीच, विधायक दानम नागेंद्र ने बीआरएस पार्षदों को चुप कराने की कोशिश की, जिससे कार्यक्रम में तनाव और बढ़ गया। अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद स्थिति नियंत्रण में आई।

6.47 लाख राशन काड्र किए गए जारी

मंत्री पर पलटवार करते हुए, श्रवण ने दावा किया कि 2016 से 2023 के बीच लगभग 6.47 लाख नए राशन कार्ड जारी किए गए। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर पिछली उपलब्धियों को मिटाने के लिए झूठे विमर्श गढ़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीआरएस सरकार ने प्रति व्यक्ति चावल का आवंटन 4 किलो से बढ़ाकर 6 किलो कर दिया है और ज़ोर देकर कहा कि इससे इनकार करना जनता को गुमराह करेगा।

राशन कार्ड क्या है और कितने प्रकार के होते हैं?

सरकार द्वारा जारी वह पहचान पत्र जिससे गरीब और पात्र नागरिकों को सस्ते दामों पर अनाज, चावल, गेहूं, तेल जैसी आवश्यक वस्तुएँ दी जाती हैं, उसे राशन कार्ड कहते हैं। यह मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं—अंत्योदय (AAY), बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे), और एपीएल (गरीबी रेखा से ऊपर)।

राशन कार्ड क्या है?

एक ऐसा दस्तावेज़ जो सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत लोगों को सब्सिडी दर पर खाद्य सामग्री प्राप्त करने का अधिकार देता है, उसे राशन कार्ड कहा जाता है। यह नागरिक की पहचान, निवास, और पारिवारिक जानकारी को भी दर्शाता है।

भारत में राशन कार्ड की शुरुआत कब हुई थी?

ब्रिटिश शासन काल के दौरान द्वितीय विश्व युद्ध (1940 के दशक) के समय जब खाद्य संकट उत्पन्न हुआ, तब भारत में राशन कार्ड प्रणाली की शुरुआत की गई थी। आज़ादी के बाद इसे धीरे-धीरे पूरे देश में लागू किया गया और यह खाद्य सुरक्षा का प्रमुख आधार बन गया।

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