वन रेंज अधिकारी की हो चुकी है हत्या
हैदराबाद। राज्य में वन विभाग (Forest Department) के कर्मियों पर बढ़ते हमलों के बावजूद उन्हें हथियार उपलब्ध कराने और वन स्टेशन स्थापित करने की उनकी मांग अभी भी दूर की कौड़ी बनी हुई है। 19 जुलाई को, आदिलाबाद के केशवपुरम गाँव में, जब वन कर्मचारी पौधारोपण अभियान के लिए पहुँचे, तो स्थानीय लोगों ने उन पर हमला कर दिया। स्थानीय पुलिसकर्मी गाँव में उनके साथ मौजूद थे, इसके बावजूद वन कर्मचारियों को चोटें आईं। यह कोई अकेली घटना नहीं है। पिछले कुछ सालों से राज्य भर में ऐसे मामले सामने आते रहे हैं। नवंबर 2022 में, कोत्तागुडेम (Kottagudem) में वन अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर गुट्टी कोया आदिवासियों ने एक वन रेंज अधिकारी श्रीनिवास राव की बेरहमी से हत्या कर दी थी। इसी प्रकार, राज्य में विभिन्न स्थानों पर स्थानीय लोगों, विशेषकर आदिवासियों और अन्य लोगों द्वारा वन बीट अधिकारियों पर हमला किए जाने के मामले सामने आए हैं।
प्रभाग स्तर पर 18 वन स्टेशन स्थापित करने की मांग
बढ़ती घटनाओं से चिंतित राज्य वन सेवा अधिकारी संघ (एसएफएसओए) ने पिछले दिनों विभाग को एक ज्ञापन सौंपकर हथियार और गोला-बारूद की अनुमति देने की अपील की थी। इसके अलावा, वे यह भी चाहते थे कि प्रभागीय स्तर पर वन स्टेशनों की स्थापना की जाए तथा वन रेंज अधिकारियों (एफआरओ) और उससे ऊपर के रैंक के लिए पिस्तौल तथा आत्म-सुरक्षा के लिए क्षेत्रीय कर्मचारियों को राइफलें प्रदान की जाएं। केरल और महाराष्ट्र में अपनाई जा रही प्रथाओं का हवाला देते हुए वन अधिकारियों ने विभाग से विशेष रूप से प्रभाग स्तर पर 18 वन स्टेशन स्थापित करने की मांग की। इस मुद्दे को स्वीकार करते हुए, विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि प्रस्ताव राज्य सरकार के पास लंबित है। मुख्य वन्यजीव वार्डन एलुसिंग मेरु ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि सरकार इस प्रस्ताव पर सक्रियता से विचार कर रही है।’
तेलंगाना में ये समस्याएँ ज़्यादा नहीं थीं
अविभाजित आंध्र प्रदेश में, वन कर्मचारियों को भी हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराया गया था। नक्सलियों द्वारा वन कर्मचारियों से हथियार छीनने की कुछ घटनाओं के बाद, सरकार चाहती थी कि विभाग अपने हथियार सौंप दे। तब से, वन कर्मचारी अपनी सुरक्षा के लिए लाठियाँ रखते हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक सी. सुवर्णा ने कहा कि केरल और महाराष्ट्र राज्य अभी भी अवैध शिकार और चरमपंथी गतिविधियों के मामलों को देखते हुए अपने कर्मचारियों को हथियार उपलब्ध करा रहे हैं। तेलंगाना में ये समस्याएँ ज़्यादा नहीं थीं और बहुत छिटपुट थीं। हालाँकि, अलग-अलग मुद्दों पर ग्रामीणों द्वारा वन कर्मचारियों पर हमले के मामले सामने आए हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
वन की परिभाषा क्या है?
वृक्षों, झाड़ियों, वनस्पतियों, जीव-जंतुओं और जैव विविधता से भरपूर प्राकृतिक क्षेत्र को वन कहा जाता है। यह पृथ्वी की सतह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जहाँ पर्यावरणीय संतुलन बना रहता है और प्राकृतिक संसाधन उत्पन्न होते हैं।
वन क्या है, यह कितने प्रकार के होते हैं?
पेड़-पौधों और जीवों से युक्त वह भू-भाग जो प्राकृतिक या मानव निर्मित रूप से हरित होता है, उसे वन कहते हैं। भारत में मुख्यतः तीन प्रकार के वन होते हैं—उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन, पर्णपाती वन और कांटेदार वन। इनका वर्गीकरण जलवायु और वनस्पति के आधार पर होता है।
वन का क्या महत्व है?
प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने, कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने, ऑक्सीजन देने, वर्षा लाने, जल स्रोतों की रक्षा करने और जैव विविधता को संरक्षित रखने में वन का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह मानव जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अनिवार्य हैं।
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