मुंबई में एक 86 साल की महिला साइबर फ्रॉडों की चक्कर में ऐसी फंसी कि उसने अपने जीवन भर की कमाई गंवा दिया. हाउस हेल्प को महिला के व्यवहार पर शक हुआ. बेटी को खबर दी, तब जाकर उसका पोल खुला. दो जालसाजों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है. मगर रिकवरी हुई की नहीं इसकी खबर अभी तक नहीं आई है।
हाइलाइट्स
- 86 वर्षीय महिला साइबर फ्रॉड का शिकार हुई, 20 करोड़ रुपये गंवाए।
- हाउस हेल्प ने महिला के व्यवहार में बदलाव देखा, बेटी को सूचित किया।
- पुलिस ने दो जालसाजों को गिरफ्तार किया, रिकवरी की जानकारी नहीं।
दुनिया लगातार फास्ट फॉरवार्ड होती जा रही है, डिजिटलाइज्ड होती जा रही है. हम एआई और रोबोटिक दुनिया की कल्पना कर रहे है, मगर सच्चाई तो ये है कि हम खुद ही रोबोट बन चुके हैं. डिजिटल क्रांति इतनी आगे बढ़ गई है कि हम साथ रहने, यानी कि परिवार की कल्पना नहीं कर सकते हैं. इसका उदाहरण सभी समाज में है. अगर देखना है तो किसी घर में चले जाइये. लोग न्यूक्लियर परिवार के बजाय अकेले जीना पसंद करते हैं. बूढ़े मां-बाप अकेले पड़ जाते हैं. वजह है डिजिटलाइजेशन…
मगर, इस डिजिटलाइजेशन ने हमारी जिंदगी को जितना आसान बनाया है, उतना ही खतरा भी बन गया है. आए दिन हम साइबर क्राइम और फ्रॉड की खबरों को पढ़ते हैं. ओटीपी, डिजिटल अरेस्ट, लिंक, हैकिंग, फिशिंग, आइडेंटीटी थेफ्ट, रैनसमवेयर और मैलवेयर इत्यादि साइबर फ्रॉड के तरीके है. ये अपराधी उन्हीं को टारगेट करते हैं, जो इन सब चीजों के बारे में बिल्कुल ही नहीं जानते हैं. जैसे- बूढ़े लोग जो अकेले की जिंदगी जी रहे हैं. अब ऐसी ही एक कहानी बताने जा रहे हैं, जो ऊपर लिखे बातों पर बिल्कुल फिट बैठता है.
2 महीने साइबर जालसाजों की चुगंल में
टीओआई के हवाले से साइबर जालसाजों ने मुंबई की 86 वर्षीय निवासी को मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप में डिजिटल अरेस्ट किया. गिरफ्तारी की धमकी देकर उनसे 20 करोड़ रुपये ऐंठ लिए. इसे असली दिखाने के लिए उन्होंने उसे ऑनलाइन फर्जी कोर्ट कार्यवाही में शामिल किया. ये प्रक्रिया दो महीने तक चला. हर रोज तीन घंटे उनको फोन करते, लोकेशन जांच करते और उसे घर से बाहर न निकलने की धमकी दी. परिवार के लोगों से बात न करने की भी धमकी दी. हालांकि, बाद में बेटी के केस करने के बाद पुलिस ने 2 जालसाजों को गिरफ्तार कर लिया है।
कहानी कैसे शुरू होती है?
एक महिला अकेले रहती थी. उसके साथ उसकी हाउस हेल्प रहती थी. इस महिला को एक व्यक्ति ने फोन आता है. खुद को सीबीआई का अफसर संदीप राव बताता है. महिला को धमकी देते हुए उसने कहा कि उसके नाम पर एक बैंक खाता खोला गया है. इसका इस्तेमाल जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल के खाते में पैसे ट्रांसफर करने और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया है. फिर उसके डिजिटली अरेस्ट वारंट, सुप्रीम कोर्ट के डॉक्यूमेंट, और अन्य कागजात दिखाया जाता है. उसे किसी से इसके बारे में बात न करने की भी धमकी दी जाती है. फिर शुरू होता है फ्रॉड का अलग खेल।
अकेले-अकेले रहने लगी महिला
महिला डर से घर में अकेले रहने लगती है. कमरे से बाहर केवल खाना खाने के लिए निकलती है. उसकी घरेलू सहायिका ने उसके व्यवहार में आए बदलावों को देखा. इसकी खबर तुरंत उसने उनकी बेटी दिया. उसने पुलिस को बताया, “वह अपने कमरे में रहती, किसी पर चिल्लाती और सिर्फ़ खाने के लिए बाहर निकलती.”
अरेस्ट करने की धमकी
सीबीआई अफसर बना जालसाज राव ने महिला को डराया कि मामले की जांच सीबीआई की विशेष टीम कर रही है. केस दर्ज हो चुका है. एक व्हाट्सएप कॉल पर धमकी दी अगर कुछ भी चालाकी कि तो उसके बच्चों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. अकाउंट फ़्रीज कर दिए जाएंगे. उसे चेतावनी दी गई कि अगर उसने सहयोग नहीं किया तो उसके घर पुलिस भेज दी जाएगी।
पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं
जालसाजों ने कहा कि उसे “डिजिटल इंडिया मूवमेंट” के तहत पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं है. उसकी ‘ई-जांच’ जारी रहेगी. पुलिस उसकी निगरानी ऑनलाइन करेगी. उसकी गतिविधि जांच की जा रही है तो बैंक डिटेल भेजने की मांग की गई. उसे रोजाना दो से तीन घंटे तक फोन किया गया, सुप्रीम कोर्ट के फर्जी नोटिस भेजे गए. जालसाजों ने कहा कि इस केस से नाम हटाना है तो सारा पैसा कोर्ट के खाते में ट्रांसफर करना होगा. जांच के बाद पैसे वापस कर दिया जाएगा।
पुलिस को कितनी सफलता मिली
4 मार्च को एफआईआर दर्ज हुई. पुलिस ने मलाड से शायन शेख (20) और मीरा रोड से रजीक बट (20) को गिरफ्तार किया. शेख के खाते में 5 लाख रुपये और दूसरे खाते में 9 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए. बट ने एक अन्य आरोपी को पैसा सौंप दिया और उसे क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया।