Chandra Grahan 2025 Live Updates: चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan)को धार्मिक और ज्योतिष दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। ये एक खगोलीय घटना है, जिसका असर न सिर्फ राशियों पर पड़ता है बल्कि प्रकृति पर भी प्रभाव देखने को मिलता है। चंद्र ग्रहण के दौरान तापमान और गुरुत्वाकर्षण बल के कारण समुद्र की लहरों में बदलाव आ सकता है, जिससे मौसम पर प्रभाव पड़ता है।
इसके अलावा जानवरों के व्यवहार में भी परिवर्तन देखने को मिलता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 7 सितंबर को साल 2025 का आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण (Grahan) लगेगा। इस ग्रहण को ब्लड मून और लाल चंद्रमा भी कहा जाता है क्योंकि इस दौरान चांद लाल रंग का दिखाई देता है।
यह ग्रहण भारत में पूर्ण रूप से दिखाई देगा, जिसे बिना किसी विशेष उपकरण के देखा जा सकता है। चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखेगा, इसलिए इसका सूतक काल भी लगेगा। ऐसे में कुछ राशियां किसी बड़े संकट में फंस सकती हैं। हालांकि कुछ उपायों को करके चंद्र ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है।
9 बजकर 58 मिनट से शुरू होगा चंद्र ग्रहण
साल 2025 का आखिरी चंद्रग्रहण रात 9 बजकर 58 मिनट से शुरू हो जाएगा। वहीं, 1 बजकर 26 मिनट पर इसकी समाप्ति 8 सितंबर की सुबह 1 बजकर 26 मिनट पर होगी।
21 सितंबर को लगेगा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण
चंद्र ग्रहण के साथ ही साल 2025 के पितृपक्ष की शुरुआत हुई है। वहीं, पितृपक्ष का अंत भी सूर्य ग्रहण के साथ 21 सितंबर को होगा। यह साल का आखिरी सूर्य और चंद्र ग्रहण होगा।
कैसे होते हैं चंद्रग्रहण के दौरान जन्मे व्यक्ति?
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा मन का कारक माना जाता है। मान्यता है कि अगर किसी बच्चे का जन्म चंद्रग्रहण के दौरान होता है तो ऐसा व्यक्ति काफी रहस्यमयी होता है। इन लोगों को आध्यात्मिक क्षेत्र में बढ़ी उपलब्धि मिलती है। हालांकि कभी-कभी ये लोग भावनात्मक रूप से कमजोर भी होते हैं।
सीधी आंखों से देख सकेंगे चंद्रग्रहण
बस कुछ घंटों बाद शुरू होने वाला चंद्रग्रहण आप बिना किसी डिवाइस के माध्यम से भी देख सकते हैं। इस ग्रहण को खुली आंखों से देखना भी सुरक्षित रहेगा।
खाने-पीने के सामानों में रखें तुलसी
चंद्रग्रहण से पहले खाने पीने के सामानों में तुलसी दल रख दें। जिससे ग्रहण के बाद भी वे वस्तुएं उपयोग में लाई जा सकें।
अयोध्या राम मंदिर के बंद हुए कपाट
सूतक काल के चलते अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं। कपाट सूतक काल से लेकर ग्रहण तक बंद रहेंगे। इस दौरान किसी भी प्रकार का पूजा-पाठ मंदिर में नहीं किया जाएगा।
सूतक काल में बंद क्यों होते हैं मंदिर?
मंदिरों को बेहद पवित्र स्थान माना जाता है, जबकि ग्रहण और सूतल काल को अशुभ माना जाता है। इसलिए ग्रहण के सूतक काल के दौरान अधिकतर मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं।
ग्रहण के समय में क्यों आता है बदलाव?
बता दें कि कुछ शहरों में ग्रहण की अवधि में बदलाव देखने को मिलता है। जैसे कि इस बार सबसे पहले उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। हालांकि, शास्त्रों में बताया गया है कि ग्रहण की अवधि में बदलाव नहीं होता है, बल्कि उसके दिखने के समय में बदलाव होता है। इसी कारण कहीं पहले तो कहीं बाद में चंद्र ग्रहण नजर आता है।
विज्ञान की नजर से जानें क्यों लगता है चंद्र ग्रहण?
खगोलीय दृष्टि से चंद्र ग्रहण तब लगता है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और चंद्रमा पर छाया डालती है।
जानें ग्रहण लगने का धार्मिक कारण
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान राहु नामक राक्षस ने अमृत पीने के लिए देवता का रूप धारण किया था, लेकिन विष्णु जी ने उन्हें पहचान लिया था। विष्णु जी ने गुस्से में राहु का सिर काट दिया था, लेकिन अमृत पीने के कारण उसका शरीर अमर हो गया। राहु के शरीर को केतु और सिर को राहु कहा जाता है। राहु और केतु गुस्से में समय-समय पर सूर्य और चंद्रमा को निगल जाते हैं, जिस कारण सूर्य और चंद्र ग्रहण लगता है।
2025 में भारत में चंद्र ग्रहण कब है?
Chandra Grahan 2025: चंद्र ग्रहण कितने बजे होगा शुरू और कब होगा खत्म भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि को लगने वाला चंद्र ग्रहण अब से कुछ घंटों के बाद शुरू होगा। ग्रहण रात 09 बजकर 58 मिनट से शुरू होगा और समापन 08 सितंबर को देर रात 01 बजकर 26 मिनट पर होगा, जिसके साथ सूतक काल भी खत्म हो जाएगा।
चंद्र ग्रहण साल में कितनी बार होता है?
चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा के दौरान ही होता है, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीनों एक सीध में होते हैं। हालाँकि चंद्रमा को पृथ्वी की परिक्रमा करने और पूर्णिमा से पूर्णिमा तक एक चक्र पूरा करने में केवल 29.5 दिन लगते हैं, फिर भी हर साल औसतन केवल तीन चंद्र ग्रहण ही होते हैं।
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