Odisha News : छात्रों की शरारत ने ले ली गंभीर रूप

By Surekha Bhosle | Updated: September 13, 2025 • 5:35 PM

8 बच्चों की आंखों को चिपकाने की घटना से मचा हड़कंप

फूलबनी: ओडिशा (Odisha) के कंधमाल जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां बच्चों की शरारत कई छात्रों पर भारी पड़ गई। दरअसल, यहां के एक सरकारी आदिवासी कल्याण आवासीय (TRW) स्कूल में कुछ विद्यार्थियों ने सो रहे अपने साथियों की आंखों पर कथित तौर पर कोई तेजी से चिपकने वाला पदार्थ डाल दिया। इस घटना के बाद कम से कम (Eight students) आठ छात्रों को शुक्रवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस ने इस घटना के बारे में जानकारी दी। यह पूरा मामला सालगुडा के सेवाश्रम स्कूल में घटी

चौथी या पांचवीं क्लास के हैं सभी छात्र

Odisha News : पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस घटना से प्रभावित अधिकतर विद्यार्थी लगभग 12 साल के है। ये सभी छात्र चौथी और पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले हैं। जिन बच्चों की आंखों को चिपकाया गया, उन्हें पहले गोछापाड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। हालांकि बाद में उनमें से सात को फूलबनी के जिला मुख्यालय अस्पताल (DHH) में ले जाया गया। पुलिस ने बताया कि आठ छात्रों में से एक को आंखें खोलने के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से छुट्टी दे दी गई। 

परिजनों में रोष व्याप्त

Odisha News : वहीं स्कूल की शिक्षिका प्रेमलता साहू ने कहा, ‘‘सुबह करीब सात बजे मैं हॉस्टल गई और पाया कि आठ छात्र अपनी आंखें नहीं खोल पा रहे थे। बाद में मुझे पता लगा कि कुछ छात्रों ने आंखों पर कोई चिपकने वाला पदार्थ डाल दिया।’’ वहीं इस घटना के बाद से पीड़ित छात्रों के परिजनों में काफी आक्रोश व्याप्त है। पीड़ित छात्रों के माता-पिता और स्थानीय नेताओं ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।  

मामले की जांच जारी

इस घटना से बड़ा सवाल ये उठता है कि स्कूल के हॉस्टल में बच्चों के साथ इस तरह का बर्ताव आखिर कैसे हो गया। इस घटना के दौरान शरारती छात्रों पर किसी की नजर कैसे नहीं पड़ी और किसी ने उन्हें रोकने की कोशिश क्यों नहीं की। घटना के बाद आरोपी छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है। हालांकि स्कूल प्रबंधन का कहना है कि इस मामले की जांच की जा रही है।

शारीरिक दण्ड क्या है?

शारीरिक दंड का अर्थ है किसी व्यक्ति के गलत व्यवहार के जवाब में उसके शरीर पर जानबूझकर शारीरिक चोट या पीड़ा पहुँचाना, जैसे कि थप्पड़ मारना या पीटना। इस प्रकार के दंड का उद्देश्य बच्चे को कुछ सिखाना या सही करना होता है, लेकिन यह बच्चों में आक्रामकता बढ़ाता है और आत्म-नियंत्रण सिखाने में अप्रभावी होता है, जिससे बच्चों का विकास बाधित होता है। 

छात्रों को विभिन्न प्रकार के दंड कौन-कौन से हैं?

छात्रों को शारीरिक और गैर-शारीरिक दंड दिए जाते हैं, जिनमें शारीरिक दंड के रूप में शारीरिक पीड़ा पहुँचाना (जैसे थप्पड़ मारना, पीटना), और गैर-शारीरिक दंड के रूप में एकांतवास, निलंबन या निष्कासन, अतिरिक्त काम सौंपना, या सुविधाओं पर प्रतिबंध लगाना शामिल है. हालांकि भारत में शारीरिक दंड को समाप्त कर दिया गया है, यह अभी भी कई देशों में प्रचलित है और इसके कानूनी परिणाम हो सकते हैं. 

अन्य पढ़ें:

#BreakingNews #ChildWelfare #HindiNews #LatestNews #OdishaNews #SchoolNegligence #StudentSafety #TRWSchoolIncident