तीन साल में कुल 150 इंजन किए जाएंगे सप्लाई
बिहार में बनी रेल इंजन से पश्चिमी अफ्रीकी देश में ट्रेन दौड़ेगी। भारतीय रेलवे अब अफ्रीका में भी अपनी पहचान बनाएगा। भारत पश्चिम अफ्रीका के देश गिनी को डीजल इंजन (लोकोमोटिव) निर्यात करेगा। भारतीय रेलवे अपने राजस्व को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पश्चिमी अफ्रीका के तटीय देश गिनी को इंजनों का निर्यात शुरू करने जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जून को बिहार के सारण जिले के मरहौरा स्थित डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री में निर्मित निर्यात के लिए पहले लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाएंगे। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहले निर्यात लाइन ऑफ क्रेडिट के रूप में किया जाता था, जो विभिन्न देशों में विकास परियोजनाओं के लिए एक तरह की सहायता थी। इन इंजनों को बांग्लादेश, मोजाम्बिक जैसे देशों में भेजा गया था। अधिकारी ने बताया कि गिनी को तीन साल में कुल 150 इंजन सप्लाई किए जाएंगे।
छपरा में बने इंजन से लौह खदानों के माल ढोएगा गिनी
मरहोरा फैक्ट्री को पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर बनाया गया है और इसे अमेरिकी कंपनी वेबटेक के हिस्से जीई ट्रांसपोर्टेशन और भारतीय रेलवे के संयुक्त उद्यम द्वारा चलाया जाता है। अधिकारी ने कहा, ‘इस कारखाने ने गिनी द्वारा जारी वैश्विक निविदा में बोली जीती है। इन इंजनों का उपयोग देश की लौह अयस्क खदानों से माल ढुलाई के लिए किया जाएगा। ये 4,500 हॉर्स पावर (एचपी) के इंजन हैं।
इसमें कई सुविधाएं होंगी जैसे कि फॉगिंग के लिए विंडशील्ड हीटिंग, इंसुलेटेड छत, शौचालय, एयर कंडीशनिंग आदि। रेक दोनों तरफ से दो इंजनों से जुड़ी होगी। इसलिए इसमें एक डिस्ट्रीब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम (डीपीडब्ल्यूसीएस) भी होगा, जो एक ट्रेन में कई इंजनों के वायरलेस नियंत्रण की अनुमति देगा। ये इंजन 8,000 टन का माल ले जा सकेंगे। दो इंजन एक साथ अधिकतम स्वीकार्य गति के साथ 100 वैगनों का भार ले जा सकेंगे। इसके 24 घंटे में 1,200 किलोमीटर की दूरी तय करने की उम्मीद है।’
पहली बार रेल इंजन निर्यात करेगा भारत
उसी दिन, पीएम मोदी पाटलिपुत्र (बिहार) और गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के बीच एक वंदे भारत ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाएंगे। यह पहली बार है जब भारतीय रेलवे इंजन का निर्यात कर रहा है। इससे रेलवे की कमाई बढ़ेगी। पहले, रेलवे लाइन ऑफ क्रेडिट के रूप में दूसरे देशों को मदद करता था। अब सीधे निर्यात से फायदा होगा।
8000 टन माल ढोने में सक्षम है भारतीय रेल इंजन
एक अधिकारी ने बताया कि इंजन के साथ डिब्बे भी होंगे। इसमें डिस्ट्रीब्यूटेड पावर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम (DPWCS) होगा। इससे एक साथ कई इंजनों को वायरलेस तरीके से कंट्रोल किया जा सकेगा। ये इंजन 8,000 टन तक का माल ढो सकते हैं। दो इंजन मिलकर 100 डिब्बों का भार उठा सकते हैं और 24 घंटे में 1,200 किलोमीटर की दूरी तय कर सकते हैं।