Hariyali Teej : माँ पार्वती और शिवजी के पुनर्मिलन की पावन कथा

By Surekha Bhosle | Updated: July 26, 2025 • 5:16 PM

परिचय: हरियाली तीज का महत्व

हरियाली तीज (Hariyali Teej) श्रावण मास (Shravan month) की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन स्त्रियाँ सौभाग्य, सुख-समृद्धि और अखंड सुहाग की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं

हिंदू धर्म में हर व्रत से जुड़ी कोई न कोई कथा होती है जिसे व्रत रखने वालों के लिए पढ़ना जरूरी माना जाता है। 27 जुलाई को हरियाली तीज है ऐसे में इस दिन से जुडी भी एक पौराणिक कथा है जिसे व्रती महिलाओं को जरूर सुनना या पढ़ना चाहिए।

Hariyali Teej Vrat Katha: हरियाली तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए इस दिन ज्यादातर महिलाएं हरे रंग की साड़ी और हरी चूड़ियां जरूर पहनती हैं। इसके अलावा ये रंग अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसे में इस शुभ दिन पर इस रंग के कपड़े पहनने से महिलाओं के सुहाग को लंबी आयु की प्राप्ति होती है। इस दिन महिलाएं व्रत रहती हैं और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इसके अलावा इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा जरूर पढ़ती हैं। यहां हम आपके लिए लेकर आएं हैं हरियाली तीज की पावन कथा।

हरियाली तीज की व्रत कथा (Hariyali Teej Vrat Katha)

हरियाली तीज की पौराणिक कथा अनुसार माता सती ने हिमालय राज के घर पर माता पार्वती के रूप में जन्म लिया और उन्होंने बचपन में ही भगवान शिव को पति के रूप में पाने की पूरी कामना कर ली थी। जब माता पार्वती शादी योग्य हुईं तो उनके पिता उनकी शादी के लिए योग्य वर की तलाश में लग गए। एक दिन नारद मुनि पर्वत राज हिमालय के घर आए और उन्होंने पार्वती जी के विवाह के लिए भगवान विष्णु का नाम सुझाया। हिमालय राज ने तुरंत अपनी बेटी की शादी के लिए अपनी रजामंदी दे दी। जब माता पार्वती को ये बात पता चली तो वो चिंतित हो गईं। जिसके बाद माता पार्वती भगवान शिव को पाने के लिए एकांत जंगल में जाकर कठोर तपस्या करने लगीं। वहां उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और सच्चे मन से अराधना की।

इसके बाद माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें उनकी इच्छा पूरी होने का आशीर्वाद दिया। जब पर्वतराज हिमालय को अपनी बेटी के मन की बात पता चली तो उन्होंने भी भगवान शिव को दामाद के रूप में स्वीकार कर लिया। कहते हैं तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाने लगा।

हरियाली तीज का त्योहार क्यों मनाया जाता है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कई जन्मों की तपस्या के बाद माता पार्वती को इसी दिन भगवान शिव को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। हरियाली तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का उत्सव है। मान्यता है कि हरियाली तीज का व्रत करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

हरियाली तीज कैसे मनाएं?

  1. शिव-पार्वती का आवाहन करें।
  2. शिवजी का अभिषेक गंगाजल और पंचामृत से करें।
  3. माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
  4. बेलपत्र, धतूरा, फल, फूल, चंदन, अक्षत, नैवेद्य और सुपारी से पूजन करें।
  5. सभी पूजन सामग्री अर्पित करने के बाद हरियाली तीज की व्रत कथा पढ़ें और शिव-पार्वती की आरती करें।

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