सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा कारणों से झारखंड सरकार को रामनवमी के जुलूसों के दौरान बिजली आपूर्ति बंद करने की अनुमति दी है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि कटौती न्यूनतम हो और केवल जुलूस मार्गों तक सीमित रहे
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को रामनवमी से जुड़े कार्यक्रमों के दौरान बिजली आपूर्ति बंद करने की अनुमति दी, ताकि करंट लगने से होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से कहा कि वह कम बिजली काटें और शोभा यात्रा वाले मार्गों पर ही बिजली काटी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से रामनवमी में बिजली काटे जाने के दौरान अस्पतालों में आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा।
कोर्ट ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के प्रमुख से उच्च न्यायालय में यह हलफनामा दाखिल करने को कहा कि बिजली कटौती न्यूनतम अवधि के लिए होगी।
झारखंड हाई कोर्ट ने लगाई थी रोक
झारखंड हाई कोर्ट ने त्योहारों के मौके पर जुलूस निकालने के समय 10-10 घंटे बिजली कटौती पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा कि रामनवमी, मोहर्रम, सरहुल मौके पर लंबे समय तक बिजली की कटौती नहीं की जाए, इससे लोगों को मुश्किलें उठानी पड़ती हैं।
इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी साफ किया था कि जुलूस के समय अपने-अपने झंडों की लंबाई इस हिसाब से रखें कि वो बिजली के खंभों पर फंसें नहीं और करंट लगने की दुर्घटनाओं से सुरक्षा बरती जा सके। कोर्ट की ओर से इस निर्देश को तुरंत मानने के लिए कहा गया था। कोर्ट ने कहा कि अगर मौसम खराब है और स्थिति आपात की बन रही है तब ही बिजली की कटौती करें, अन्यथा नहीं।
झारखंड हाई कोर्ट ने कहा कि बिजली की कटौती से बच्चे, बुजुर्गों और महिलाओं सहित शहर के लोगों को गर्मी में मुश्किलें उठानी पड़ती हैं। कोर्ट ने कहा कि लाइट की कटौती से छात्रों को उनकी पढ़ाई और व्यापारियों की दुकान में बिक्री में कमीं आती है, जिससे राजस्व पर भी असर पड़ता है।
महाधिवक्ता ने कहा कि सरहुल जैसे त्यौहारों पर जुलूस में झंडा लेकर चलने वाले लोगों को चोट लगने से बचाने के लिए बिजली आपूर्ति बंद करने का कठोर कदम उठाना ज़रूरी समझा गया। उन्होंने इस बात पर भी जोर डाला कि ऐसे खंभों के बिजली के तारों के संपर्क में आने का ख़तरा था। उन्होंने कहा कि साल 2000 में बिजली के तार के संपर्क में आने से 29 लोगों की मौत हो गई थी।