जम्मू-कश्मीर, पंजाब से लेकर राजस्थान और गुजरात तक पाकिस्तान से सटे सीमावर्ती जिलों में भारतीय सैनिक पाकिस्तान के हर हमले को नाकाम कर रहे हैं। हमले से हालात विकट जरूर हुए हैं, मगर लोग डरे हुए नहीं हैं। वे सतर्क हैं। चाहते हैं कि दुश्मन को सबक सिखाया जाए। हर रोज सरहदों के हालात हम आप तक पहुंचाएंगे सन्नाटा
जम्मू जागा और काम पर जुट गया, पर सतर्कता के साथ
मंदिरों की घंटियों, गुरुद्वारों में शबद कीर्तन और मस्जिदों में अजान के साथ जागने वाला शहर जम्मू शुक्रवार की सुबह भी उठा। पर… सन्नाटे को चीर रहे थे रातभर से जारी धमाके, सायरन की आवाजें। बीच-बीच में जब चंद मिनटों के लिए धमाके थमते तो कोयलों की कुहुक एहसास कराती कि सुबह हो चुकी है।
इधर, सूरज की किरणों ने दस्तक दी, उधर ब्लैकआउट खत्म हुआ। तभी घर से न निकलने की ताकीद करती पुलिस की गाड़ियां गुजरने लगी थीं। घंटे दो घंटे के इंतजार के बाद बाहर निकलने की छटपटाहट लोगों में नजर आई और कुछ देर से ही सही, रात भर धमाकों के डर को मानो ठेंगा दिखाता जम्मू फिर से जीवंत होने की कोशिश में जुट गया।
इस बीच रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड पर बाहर जाने वाले लोगों की संख्या जरूर बढ़ी, पर स्टेशन पर दुकान लगाने वाले विजय मनहास कहते हैं कि यह शहर हार नहीं मानता है, डर यहां अस्थायी है।
पाकिस्तान की ओर से बृहस्पतिवार की रात हुए धमाकों का टारगेट जम्मू का वो इलाका रहा, जो भारतीय सेना का एक अति महत्वपूर्ण पाॅइंट है। हमने सुबह उन्हीं इलाकों की ओर रुख किया। लोग दफ्तर निकलने के लिए मेटाडोर का इंतजार करते, रोजमर्रा की खरीदारी करते नजर आए।
एक पल तो लगा कि मानो कुछ हुआ ही नहीं है। मुख्य बाजार में रहने वाले हरबंश चौधरी कहते हैं, शहर में बंकर जैसी सुविधाएं नहीं। पर, हम अपने घरों में रहेंगे और हमारा हौसला ही हमें जिंदा रखेगा।
तनाव है, पर डर नहीं…
सतवारी-गांधीनगर होकर हम पुराने शहर की ओर रुख करते हैं। रघुनाथ बाजार भी रोज की तरह खुल चुका है। रेजीडेंसी रोड से होते हुए हम पीरखो, पीर मिट्ठा तक पहुंचते हैं। वहीं, मौजूद नरोत्तम शर्मा कहते हैं कि टेंशन तो है, पर डरने की कोई बात नहीं, सतर्कता की जरूरत है।
जैन बाजार में मिले सराफा कारोबारी आशुतोष कपूर कहते हैं कि आप खुद देख लीजिए बाजार खुले हैं, लोग काम पर आना चाहते हैं, इसलिए आए हैं। डर कर हम दुश्मनों को जीतने नहीं दे सकते। हमने तय किया है कि अंधेरा होने से पहले बाजार बंद कर देंगे कुछ दिन तक, ताकि अफरातफरी न रहे।
शाम ढलने से पहले फिर सुरक्षित स्थान पर निकल जाएंगे। सीमावर्ती सभी गांवों के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए खौड़ प्रशासन की तरफ से 18 केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों पर शाम को लोग पहुंच जाते हैं। बीती रात पाकिस्तानी हमले के बाद भी खौड़ और ज्यौड़ियां के बाजार खुले देखे गए। यह बात अलग है कि रौनक नहीं थी। खौड़ बाजार के दुकानदार बिल्लू शाह और दीपक सिंह बताते हैं कि सुरक्षा जरूरी है। इसलिए सभी अपने परिवारों को सुरक्षित ठिकानों पर भेज रहे हैं।
सुरक्षाबल चौकस…गश्त बढ़ी
सुरक्षाबलों को उच्च सतर्कता पर रखा गया है। सीमावर्ती इलाकों में गश्त बढ़ा दी गई है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन के प्रयासों की सराहना करते हुए मांग की है कि जब तक सीमा क्षेत्र में पूर्ण शांति स्थापित नहीं हो जाती, तब तक इन सुरक्षा उपायों को जारी रखा जाए।
युवाओं में जज्बा, नहीं छोड़ेंगे गांव, फौजियों का देंगे साथ
परगवाल सेक्टर के साथ लगने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा हालांकि खामोश है, लेकिन लोगों के दिलों में दहशत बरकरार है। वैसे तो प्रशासन ने ज्यादातर ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है, उसके बावजूद बहुत सारे ग्रामीण, खासकर युवा अब भी गांवों में ही डटे हुए हैं और वे हरगिज अपना घर छोड़कर नहीं जाना चाहते।
सरहद का आखिरी गांव हमीरपुर कोना, जिसके दो तरफ पाकिस्तान की सीमा और एक तरफ दरिया चिनाब है, वहां खड़े कुछ युवाओं ने बताया कि वे अपना गांव छोड़कर नहीं जाएंगे, बल्कि सीमा सुरक्षा बल के जवानों के साथ डटकर पाकिस्तान को मजा चखाना चाहते हैं।
एक पूर्व सैनिक, काली मन्हास ने बताया कि प्रशासन के अधिकारियों ने उनको कई बार गांव छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा है, लेकिन वे ऐसा करके अपने जवानों का मनोबल नहीं गिराना चाहते। वे भी एक फौजी हैं और इस बार मौका है पाकिस्तान को सबक सिखा देना चाहिए।