Jharkhand : इन शिक्षकों को मिलेगा नियमित वेतन, SC ने सुनाया फैसला

By Anuj Kumar | Updated: July 19, 2025 • 11:26 AM

रांची में समग्र शिक्षा अभियान के तहत कार्यरत विशेष शिक्षकों की पात्रता पर सवाल उठ रहे हैं। 211 शिक्षकों में से केवल 32 जेटेट उत्तीर्ण हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार स्क्रीनिंग कमेटी ने बिना जेटेट उत्तीर्ण शिक्षकों से दावा और आपत्ति मांगी है। झारखंड में 45598 विशेष बच्चे हैं जिनके लिए समावेशी शिक्षा के तहत व्यवस्था की जानी है।

रांची। समग्र शिक्षा अभियान के तहत विशेष बच्चों के लिए संचालित समावेशी कार्यक्रम में कार्यरत 211 विशेष शिक्षकों में 32 शिक्षक ही झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (JETET) उत्तीर्ण हैं। अन्य 179 शिक्षक यह परीक्षा उत्तीर्ण नहीं हैं। अनुबंध पर कार्यरत जेटेट उत्तीर्ण विशेष शिक्षकों को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के आदेश पर वेतनमान दिया जाना है। इसे लेकर गठित स्क्रीनिंग कमेटी ने विभिन्न जिलों से मिली रिपोर्ट की समीक्षा के आधार पर बिना जेटेट उत्तीर्ण शिक्षकों से इसे लेकर दावा और आपत्ति मांगने का निर्णय लिया है। कमेटी के निर्णय के बाद झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने ऐसे शिक्षकों की लिस्ट जारी करते हुए उनसे 26 जुलाई तक साक्ष्य के साथ दावा और आपत्ति मांगी है। सर्वोच्च न्यायालय ने डब्ल्यूपी (सी) 132/2016 रजनीश कुमार पांडेय एवं अन्य बनाम भारत सरकार मामले में आरटीई के तहत आवश्यक योग्यता रखने वाले विशेष शिक्षकों को वेतनमान देने का आदेश दिया है।

इसे लेकर शीर्ष न्यायालय ने सभी राज्यों को कमेटी गठित कर निर्णय लेने को कहा है। साथ ही सरकारी स्कूलों में नामांकित विशेष बच्चों की संख्या के आधार पर विशेष शिक्षकों के पद सृजित कर नियुक्ति करने के निर्देश दिए हैं। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा इसी आदेश के आलोक में उक्त कार्रवाई की जा रही है।

क्या है सर्वोच्च न्यायालय का आदेश

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि स्क्रीनिंग कमेटी (Screaning Comemeti) उन सभी शिक्षकों के मामले की जांच करेगी जो इन बच्चों को पढ़ाने के लिए संविदा या दैनिक वेतन पर काम कर रहे हैं। जो शिक्षक पढ़ाने के लिए पात्र पाए जाएंगे, उन्हें विशेष शिक्षक का वेतनमान दिया जाएगा। इन शिक्षकों के पिछले अनुभव को भी ध्यान में रखा जाएगा। हालांकि, प्रत्येक उम्मीदवार के लिए अनिवार्य आवश्यकता आरसीआइ (रिहैबिलीटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया) द्वारा निर्धारित योग्यता होगी।

इसके अलावा, ऐसे शिक्षकों के मामले में जो पिछले कई वर्षों से कार्यरत और अध्यापन कर रहा हो, स्क्रीनिंग कमेटी को उचित मामलों में आयु सीमा में छूट पर विचार करने के लिए भी अधिकृत किया जाएगा।

झारखंड में विशेष बच्चों की संख्या है 45,598

झारखंड में विशेष बच्चों की संख्या 45,598 है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में झारखंड सहित विभिन्न राज्यों में ऐसे बच्चों की संख्या का भी उल्लेख किया गया है। बताते चलें कि समावेशी शिक्षा के तहत ऐसे बच्चों को सामान्य स्कूलों में ही पढ़ाई करानी है। साथ ही स्कूलों में उनके लिए निर्बाध शिक्षा की व्यवस्था राज्य सरकार को करनी है।

झारखंड का पुराना नाम क्या था?

झारखंड को ” वनों का प्रदेश ” भी कहा जाता है। मुगल काल में इस क्षेत्र को कुकरा के नाम से जाना जाता था। मध्यकाल में इस क्षेत्र को झारखंड के नाम से जाना जाता था। “छोटानागपुर पठार” पर स्थित होने के कारण इसे “छोटानागपुर प्रदेश” भी कहा जाता है।

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