इस बार प्याज की बंपर उपज की उम्मीद, गिरने लगीं कीमतें, खेती का रकबा पिछले साल से 25 फीसदी ज्यादा

By digital@vaartha.com | Updated: March 12, 2025 • 11:19 AM

इस वर्ष प्याज की खेती का रकबा पिछले वर्ष से लगभग 25 प्रतिशत ज्यादा है।किसानों को राहत देने के लिए सरकार पर निर्यात शुल्क हटाने का दबाव है। इसी बीच इस बार प्याज की बंपर आवक की उम्मीद है। वैकल्पिक उपाय नहीं किए गए तो कीमत अभी और नीचे जा सकती है। हालांकि खुदरा बाजार में इसकी कीमत अभी भी 30 से 40 रुपये किलो है।

नई दिल्ली। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार प्याज की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है। बाजार में उपलब्धता बढ़ेगी तो कीमतें गिरेंगी, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात एवं राजस्थान से प्याज की नई फसल बाजार में आने लगी है।

ऐसे में व्यापारी और किसान चाहते हैं कि प्याज के निर्यात पर 20 प्रतिशत की ड्यूटी हटे ताकि उत्पादन के मुकाबले निर्यात भी बढ़े। अभी निर्यात न के बराबर है। कीमतों में तेजी से गिरावट की बड़ी वजह यह भी है। तीन महीने पहले 50-60 रुपये प्रतिकिलो की दर से बिकने वाली प्याज आज मंडियों में 15-20 रुपये प्रतिकिलो की दर पर आ चुकी है।

उपाय नहीं किए गए तो और नीचे जा सकती हैं कीमतें

वैकल्पिक उपाय नहीं किए गए तो कीमत अभी और नीचे जा सकती है। हालांकि खुदरा बाजार में इसकी कीमत अभी भी 30 से 40 रुपये किलो है। पिछले हफ्ते ही केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि क्षेत्र की समीक्षा में पाया कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात एवं राजस्थान में नई फसलों की आवक बढ़ रही है। कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष प्याज की खेती का रकबा पिछले वर्ष से लगभग 25 प्रतिशत ज्यादा है।

11.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है प्याज की बुआई

मंत्रालय के अनुसार सिर्फ रबी मौसम में ही प्रमुख उत्पादक राज्यों में प्याज की बुआई अबतक 11.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25 प्रतिशत ज्यादा है, जबकि गर्मा प्याज की बुआई जारी है। महाराष्ट्र में 25 और मध्य प्रदेश में 30 प्रतिशत रकबा बढ़ा है।

घरेलू बाजार में प्याज की पर्याप्त उपलब्धता होगी


माना जा रहा कि घरेलू बाजार के लिए प्याज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहेगी। प्याज के निर्यात शुल्क को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। हार्टिकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विकास सिंह का कहना है कि नासिक प्याज मंडी में प्रतिदिन प्याज की कीमत तेजी से गिर रही है। निर्यात शुल्क नहीं हटा तो किसानों और कारोबारियों को बड़ा नुकसान होगा। प्याज के सस्ता होने का सबसे बड़ा कारण खेती की ओर किसानों का उन्मुख होना है।

ज्यादा रकबे में हुई प्याज की खेती


पिछले वर्ष प्याज की कीमतें आसमान छू रही थीं, जिसे देखते हुए किसानों ने इस बार ज्यादा रकबे में प्याज की खेती की।भारतीय कृषि उत्पाद उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानेश मिश्र ने कहा कि नासिक वाली प्याज कानपुर में भी एक दिन में ही तीन से चार रुपये गिरकर भाव अभी 20 से 30 रुपये पर आ गया है। कीमत प्रतिदिन टूट रही है। पैदावार ज्यादा है तो दाम धराशायी हो रहा है।

सरकार को हटाना चाहिए ड्यूटी


मंडी की चाल को देखते हुए सरकार को ड्यूटी तत्काल हटाना चाहिए। दूसरा रास्ता सरकारी खरीद का है। पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने बफर स्टाक के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ और नैफेड के माध्यम से औसतन 2,833 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 4.68 लाख टन प्याज की खरीदारी की थी। साथ ही लगभग पौने तीन लाख टन प्याज का निर्यात भी किया गया था।

# Paper Hindi News #Ap News in Hindi #Breaking News in Hindi #Google News in Hindi #Hindi News Paper bakthi breakingnews Business delhi latestnews trendingnews