राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) के इतिहास में जुलाई 2025 में न्यायाधीशों की संख्या एक नया रिकॉर्ड स्थापित कर रही है। इन 7 नए न्यायाधीशों के पदभार ग्रहण करने पर यहां न्यायाधीशों की कुल संख्या का आंकड़ा 43 तक पहुंच जाएगा, जो अब तक की सर्वाधिक है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान उच्च न्यायालय की स्थापना के समय वर्ष 1949 में 11 न्यायाधीशों ने शपथ ली थी। हालांकि, वर्ष 1950 में संविधान लागू होने के बाद न्यायाधीशों की संख्या घटकर 6 रह गई थी। इसके बाद वर्ष 2018 में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 36 से बढ़ाकर 50 की गई थी। इसके बाद जुलाई 2023 में कार्यरत न्यायाधीशों की संख्या 41 तक पहुंची थी।
वर्ष 2025 में सर्वाधिक वृद्धि, दो दंपत्ति भी
वर्ष 2025 में न्यायाधीशों (Judges) की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इनमें जनवरी में 3, मार्च में 4 न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई थी। इसके बाद अब जुलाई में 7 न्यायाधीशों की मंजूरी हुई है। इनके साथ ही इस वर्ष अब तक कुल 15 नए न्यायाधीश नियुक्त हुए हैं, जो एक ही वर्ष में सर्वाधिक नियुक्तियों का कीर्तिमान है। इतना ही नहीं, देश में ये भी पहली बार है, जब किसी उच्च न्यायालय में दो दंपत्ति न्यायाधीश बने।
राजस्थान हाईकोर्ट में लंबित प्रकरणों की स्थिति
आधिकारिक रूप से उपलब्ध 31 दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान उच्च न्यायालय में कुल 6,82,946 प्रकरण लंबित हैं। इन मामलों में दीवानी, फौजदारी और रिट याचिकाएं शामिल हैं। इनमें 1,19,906 प्रकरण 10 वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं।
राजस्थान उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 50 है। इनमें में 38 स्थायी और 12 अतिरिक्त न्यायाधीश के पद हैं। वर्तमान में न्यायालय में 36 न्यायाधीश कार्यरत हैं। जबकि, 14 रिक्त पद हैं, जो कुल स्वीकृत पदों की तुलना में 28% है। इससे पहले यह आंकड़ा वर्ष 2022 में 48% और 2025 की शुरुआत में 34% था। अब 7 नए जजों की नियुक्ति के बाद इनके पदभार ग्रहण करने से कुल 43 न्यायाधीश हो जाएंगे। तब रिक्त पदों की संख्या 7 रहेगी, जो अब तक का सबसे न्यूनतम 14% तक हो जाएगा।
न्यायिक दक्षता में सुधार की दिशा में सकारात्मक कदम
राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के रिक्त पदों को कम करने के लिए लगातार हो रहे ये प्रयास न्यायिक दक्षता में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं, जैसा कि इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (India Justice Report) 2025 द्वारा भी रेखांकित किया गया है। हालांकि, लंबित मामलों की बड़ी संख्या, विशेषकर लंबे समय से चले आ रहे मामलों की, अभी भी एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है, जो न्यायाधीशों की बढ़ती संख्या से काफी हद तक कम होने की संभावना प्रबल होगी।
लंबित प्रकरणों में रिट याचिकाओं की संख्या सर्वाधिक
राजस्थान उच्च न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, कुल 6,82,946 प्रकरण लंबित हैं। इनमें जोधपुर में मुख्य पीठ और जयपुर में खंडपीठ दोनों के लंबित मामले शामिल हैं। इनमें श्रेणीवार स्थिति –
- दीवानी प्रकरण: कुल 1,64,450 मामले लंबित हैं, जिनमें से 66,157 जोधपुर पीठ में और 98,293 जयपुर पीठ में हैं।
- फौजदारी प्रकरण: कुल 1,86,806 मामले लंबित हैं, जिनमें से 70,419 जोधपुर और 116,387 जयपुर पीठ में हैं।
- रिट याचिकाएं: कुल 3,31,690 मामले लंबित हैं, जिनमें से 155,947 जोधपुर और 175,743 जयपुर पीठ में हैं।
रिट याचिकाओं की संख्या दीवानी और फौजदारी मामलों की तुलना में काफी अधिक है। यह स्थिति प्रशासनिक और संवैधानिक मामलों के बढ़ते बोझ का संकेत देती है, जो अक्सर नागरिकों और राज्य के बीच विवादों से संबंधित होते हैं।
1.20 लाख मामले 10 साल से ज्यादा पुराने
लंबित मामलों की संख्या 10 साल से अधिक समय से लंबित प्रकरणों की कुल संख्या 1,19,906 है। यह आंकड़ा कुल लंबित मामलों का लगभग 17.56% है, जो लंबे समय से न्याय की प्रतीक्षा में है। 31 दिसंबर 2024 तक के ये आंकड़े गत 7 फरवरी 2025 को लोकसभा में दिए गए एक सवाल के जवाब में प्रस्तुत किए गए थे। इनमें श्रेणीवार स्थिति –
- मुख्य दीवानी प्रकरण: 76,964 मामले।
- मुख्य फौजदारी प्रकरण: 35,937 मामले।
- विविध फौजदारी प्रकरण: 1,302 मामले।
- विविध दीवानी प्रकरण: 5,703 मामले।
इन नई नियुक्तियों के साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार 43 न्यायाधीश कार्यरत हो रहे हैं, जिससे लंबित मामलों के शीघ्र निस्तारण की नई उम्मीद जगी है। यह प्रदेश न्यायिक प्रक्रिया की गति और न्यायिक सुलभता के लिहाज से एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
समारोह में वरिष्ठता क्रम से शपथग्रहण
1. जस्टिस संदीप तनेजा (स्थायी न्यायाधीश)
संदीप तनेजा राजस्थान हाईकोर्ट में सीधे अधिवक्ता कोटे से स्थायी न्यायाधीश बने हैं। जयपुर पीठ में अतिरिक्त महाधिवक्ता रह चुके तनेजा फर्स्ट जनरेशन लॉयर हैं, जिन्होंने करियर की शुरुआत आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए वकालत से की। उनके पास विभिन्न संवैधानिक और सिविल मामलों का करीब दो दशकों का अनुभव है। छात्रों तथा युवा वकीलों के लिए प्रेरणास्रोत माने जाते हैं, और बार काउंसिल व अन्य विधिक मंचों पर सक्रिय भूमिका निभाते आए हैं।
2. जस्टिस बलजिंदर सिंह संधू (अतिरिक्त न्यायाधीश, अधिवक्ता कोटा)
बलजिंदर सिंह संधू का जन्म 6 नवंबर 1977 को हुआ। जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से बी.कॉम एवं एलएलबी की डिग्री ली। वर्ष 2000 में वकालत शुरू की और 23 वर्षों से अधिवक्ता व बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के सदस्य व उपाध्यक्ष के रूप में विशिष्ट सेवाएं दीं। संधू ने आपराधिक, दीवानी, सेवा, श्रम, वाणिज्यिक व पर्यावरण कानून में विशेषज्ञता पाई है। 2017-2020 तक वे केंद्रीय सरकारी वकील भी रहे और कई सार्वजनिक संस्थाओं के लिए पैनल अधिवक्ता रहे हैं।
3. जस्टिस बिपिन गुप्ता (अतिरिक्त न्यायाधीश, अधिवक्ता कोटा)
बिपिन गुप्ता जयपुर के प्रख्यात अधिवक्ता के रूप में पहचाने जाते हैं। वे दीवानी, आपराधिक, सेवा एवं पारिवारिक कानून में गहरी जानकारी रखते हैं। गुप्ता ने हाईकोर्ट तथा अधीनस्थ न्यायालयों में अनेक महत्वपूर्ण मामलों की पैरवी की है। उनकी साख एक ईमानदार, शोधपरक और कानून की बारीक समझ रखने वाले वकील के रूप में रही है। वे बार काउंसिल और अन्य कानूनी संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी के लिए भी जाने जाते हैं।
4. जस्टिस संजीत पुरोहित (अतिरिक्त न्यायाधीश, अधिवक्ता कोटा)
संजीत पुरोहित जोधपुर और पश्चिमी राजस्थान में कानून के क्षेत्र में एक लोकप्रिय नाम हैं। उन्होंने आपराधिक, भूमि-विवाद, बैंकरप्सी और संवैधानिक कानून में उल्लेखनीय कार्य किया है। पुरोहित ने राजस्थान बार काउंसिल एवं जिला बार एसोसिएशन में नेतृत्व किया है, न्यायिक सुधारों में प्रखर आवाज रहे हैं और विधिक साक्षरता अभियानों में भी हिस्सेदारी की है।
5. जस्टिस रवि चिरानिया (अतिरिक्त न्यायाधीश, अधिवक्ता कोटा)
रवि चिरानिया जयपुर के सेंट ज़ेवियर स्कूल व राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी करते हुए वकालत में कदम रखा। वे पिछले 24 वर्षों से केंद्रीय सरकार के स्टैंडिंग काउंसल रहे हैं। राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, यंग लॉयर्स ग्रुप आदि में सक्रियता के साथ, वे विधिक शोध, प्रशासनिक कानून एवं सेवा विवादों के विशेषज्ञ माने जाते हैं।
6. जस्टिस अनुरूप सिंघी (अतिरिक्त न्यायाधीश, अधिवक्ता कोटा)
अनुरूप सिंघी का करियर बहुआयामी है—वे चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी भी हैं। कर, कॉर्पोरेट, कंपनी व व्यापारिक विवादों में उनकी गणना अग्रणी विशेषज्ञों में होती है। जयपुर पीठ के हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव रह चुके हैं। सिविल, वाणिज्यिक व कर कानून में उत्कृष्ट योगदान के कारण उनकी नियुक्ति न्यायपालिका के लिए खास मानी जाती है।
7. जस्टिस संगीता शर्मा (अतिरिक्त न्यायाधीश, न्यायिक सेवा कोटा)
संगीता शर्मा अपने बैच की टॉपर और न्यायिक सेवा में विशुद्ध प्रशासनिक कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं। टोंक जिले की मूल निवासी हैं। अजमेर, करौली, मेड़ता सिटी व अलवर (राज.) में जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा अन्य कई जिलों में स्टेट जज सेवाएं दे चुकी हैं। सार्वजनिक रोजगार, अधीनस्थ न्यायपालिका व बाल अधिकार जैसे विषयों पर उन्हें विशेष अनुभव है। बेहतरीन न्यायिक प्रबंधन और संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए उन्हें जाना जाता है।
राजस्थान में कुल हाई कोर्ट कितने हैं?
जयपुर में खंडपीठ वर्तमान में वर्ष 2006 में निर्मित भवन में कार्यरत है जो पुराने हेरिटेज भवन के समीप स्तिथ है। जोधपुर और जयपुर के दोनों उच्च न्यायालय परिसर में कुल 46 न्यायालय कक्ष हैं। राजस्थान राज्य में कुल 36 न्याय क्षेत्र कार्यरत हैं जिनमें 1250 से अधिक अधीनस्थ अदालतें हैं।
राजस्थान हाई कोर्ट का इतिहास क्या है?
राजस्थान के प्रथम उच्च न्यायालय का उद्घाटन जयपुर के महाराजा सवाई मान सिंह जी द्वारा 29.8.1949 को जोधपुर में किया गया था।माननीय मुख्य न्यायाधीश कमला कांत वर्मा और 11 अन्य न्यायाधीशों को जयपुर के महाराजा सवाई मान सिंह जी द्वारा 29.8.1949 को जोधपुर उच्च न्यायालय परिसर में पद की शपथ दिलाई गई थी।
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