फैसला सुनाने से पहले साक्ष्यों की जांच
आदिलाबाद। स्थानीय अदालत ने सोमवार को एक ट्रैक्टर (Tractor) चालक को चार साल पहले लापरवाही से वाहन चलाने के कारण एक व्यक्ति की मौत के लिए 8 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और 11,000 रुपये का जुर्माना लगाया। वरिष्ठ सिविल और सहायक सत्र न्यायाधीश सीएम (CM) राज्यलक्ष्मी ने आदिलाबाद शहर के सुरेथर संतोष को 26 जुलाई, 2021 को कलेक्ट्रेट चौरास्ता पर लापरवाही से ट्रैक्टर चलाकर नवीद अहमद की मौत का दोषी ठहराते हुए फैसला सुनाया। अदालत ने फैसला सुनाने से पहले साक्ष्यों की जांच की और आठ गवाहों से जिरह की। पुलिस अधीक्षक अखिल महाजन ने आदिलाबाद I टाउन इंस्पेक्टर सुनील कुमार, अदालती मामलों के निगरानी अधिकारी एमए बाकी, अदालत संपर्क अधिकारी गंगा सिंह और अदालत ड्यूटी अधिकारी एम अशोक की सजा सुनिश्चित करने में उनके प्रयासों के लिए सराहना की।
आजीवन कारावास में कितने साल जेल में रहना पड़ता है?
भारतीय कानून के अनुसार आजीवन कारावास का मतलब जीवन भर, यानी दोषी की प्राकृतिक मृत्यु तक जेल में रहना होता है। हालांकि कुछ मामलों में राज्य सरकार 14 साल या उससे अधिक समय बाद दया याचिका के आधार पर रिहाई कर सकती है।
जेल की स्थापना भारत में कब हुई थी?
भारत में आधुनिक जेल प्रणाली की नींव ब्रिटिश काल में पड़ी। वर्ष 1835 में लॉर्ड मैकॉले की अध्यक्षता में जेल सुधार समिति बनी और उसी के आधार पर भारत में औपचारिक रूप से जेलों का निर्माण और प्रशासनिक ढांचा विकसित हुआ।
कारावास क्या होता है?
किसी अपराध के लिए न्यायालय द्वारा आरोपी को दंड स्वरूप एक निश्चित अवधि तक जेल में रखने की व्यवस्था को कारावास कहा जाता है। यह दंड दो प्रकार का हो सकता है—सादा कारावास, जिसमें श्रम नहीं कराया जाता, और कठोर कारावास, जिसमें श्रम करवाया जाता है।
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