తెలుగు | Epaper

Breaking News: Traffic: ट्रैफिक और टैक्स से आधी सैलरी गई

Dhanarekha
Dhanarekha
Breaking News: Traffic: ट्रैफिक और टैक्स से आधी सैलरी गई

बेंगलुरु की जाम समस्या पर बहस

नई दिल्‍ली: बेंगलुरु(Bengaluru) सहित भारत(India) के बड़े महानगरों में ट्रैफिक(Traffic) की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। लोगों को अच्छी सैलरी मिलने के बावजूद ट्रैफिक(Traffic) और टैक्स का बोझ उनकी जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। एक टेक प्रोफेशनल के रेडिट पोस्ट ने इस मुद्दे पर नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने लिखा कि उनकी सालाना सैलरी का बड़ा हिस्सा टैक्स में चला जाता है और करीब ढाई महीने ट्रैफिक जाम में बर्बाद हो जाते हैं। यह स्थिति न केवल लोगों की उत्पादकता पर असर डालती है बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ाती है

ट्रैफिक जाम से छुपा टैक्स

पोस्ट लिखने वाले कर्मचारी का ऑफिस उनके घर से महज 14 किलोमीटर दूर है, फिर भी उन्हें रोज 90 मिनट का समय लगाना पड़ता है। यह दूरी आधे घंटे में तय हो सकती थी। उन्होंने बताया कि 28 लाख रुपये की सैलरी में से 6.5 लाख रुपये इनकम टैक्स और 1.4 लाख रुपये जीएसटी में जाते हैं। इसके साथ ही ट्रैफिक(Traffic) में फंसे रहने से लगभग ढाई महीने का वक्त बेकार हो जाता है।

इस गणित के अनुसार वह हर साल करीब छह महीने टैक्स और ट्रैफिक में गंवा देते हैं। उनका कहना है कि सरकार से टैक्स का उपयोग बेहतर सड़कों और सुविधाओं पर होना चाहिए। लेकिन योजनाओं की कमी और खराब प्रबंधन के कारण नागरिकों को रोजाना परेशानी झेलनी पड़ती है।

लोगों की राय और सुझाव

इस पोस्ट पर कई यूजर्स ने सहमति जताई। एक यूजर ने लिखा कि अगर बेंगलुरु के इंजीनियर को बिना ट्रैफिक वाले किसी शहर में भेजा जाए तो उसकी उत्पादकता 20% बढ़ सकती है। इसका मतलब है कि ट्रैफिक जाम सीधे-सीधे काम की क्षमता घटा रहा है।

दूसरे यूजर ने सुझाव दिया कि केवल बेंगलुरु ही नहीं, बल्कि टियर-2 शहरों में भी निवेश किया जाना चाहिए। इससे जनसंख्या का दबाव कम होगा और लोगों को बेहतर जीवन गुणवत्ता मिलेगी।

नागरिकों और सरकार की जिम्मेदारी

कुछ लोगों ने इस समस्या के लिए नागरिकों को भी जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि सर्विस रोड पर गलत पार्किंग जैसी आदतें आधी परेशानियों की जड़ हैं। अगर लोग जिम्मेदारी से नियमों का पालन करें तो काफी राहत मिल सकती है।

हालांकि, ट्रैफिक समस्या केवल बेंगलुरु तक सीमित नहीं है। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहर भी इसी चुनौती का सामना कर रहे हैं। जनसंख्या वृद्धि, खराब सड़क नियोजन और सार्वजनिक परिवहन की कमी इस समस्या को और गंभीर बनाती जा रही है।

बेंगलुरु के ट्रैफिक से उत्पादकता पर क्या असर पड़ता है?

लंबे जाम के कारण इंजीनियर और प्रोफेशनल रोजाना घंटों बर्बाद करते हैं, जिससे उनकी काम करने की क्षमता घटती है। कई यूजर्स ने माना कि अगर साफ हवा और बिना ट्रैफिक वाला माहौल मिले तो उत्पादकता 20% तक बढ़ सकती है।

भारत के अन्य महानगरों में भी ट्रैफिक की स्थिति क्यों खराब है?

दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और सार्वजनिक परिवहन का अभाव है। साथ ही सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या और खराब नियोजन से ट्रैफिक जाम आम समस्या बन गई है। इससे समय, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण सभी पर नकारात्मक असर पड़ता है।

अन्य पढ़े:

📢 For Advertisement Booking: 98481 12870