Triyuginarayan Temple: शिव-पार्वती के विवाह स्थल पर हो रही अर्वाचीन परिणय

त्रियुगीनारायण मंदिर

त्रियुगीनारायण मंदिर: उत्तराखंड का त्रियुगीनारायण देवालय अब केवल एक धार्मिक स्थान नहीं रहा, बल्कि यह हिंदुस्तान का उभरता हुआ डेस्टिनेशन वेडिंग हब बन चुका है। इस देवालय को शिव-पार्वती के विवाह स्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है और यही वजह है कि अब यहां हर महीने सैकड़ों परिणय वैदिक परंपराओं के अनुकूल हो रही हैं।

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शिव-पार्वती के परिणय स्थल पर वैदिक परिणय

त्रियुगीनारायण मंदिर को मिथकीय मान्यताओं के उपकारक वह स्थान माना जाता है, जहां भगवान शिव और माता पार्वती का शादी संपन्न हुआ था। यह देवालय भगवान विष्णु को समर्पित है और इसकी बनावट केदारनाथ देवालय से मिलती है। देवालय परिसर में स्थित अखंड अग्नि उसी पवित्र अग्नि का प्रतीक है, जिसके समक्ष शिव-पार्वती ने सात फेरे लिए थे। यही प्रयोजन है कि यह स्थल परिणय संस्कार के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

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वैश्विक स्तर पर बढ़ रही लोकप्रियता

वर्ष 2024 में जहां 600 विवाह संपन्न हुए, वहीं 2025 के अप्रैल तक ही 500 से अधिक जोड़े यहां परिणय कर चुके हैं। विदेशों में बसे हिंदुस्तानी और विदेशी नागरिक भी यहां परिणय के लिए आ रहे हैं। हाल ही में सिंगापुर में कार्यरत डॉक्टर प्राची ने भी परिणय के लिए यह जगह चुना। इसके अलावा कई सेलेब्रिटी जैसे चित्रा शुक्ला, कविता कौशिक, हंसराज रघुवंशी और अन्य भी यहां परिणय कर चुके हैं।

स्थानीय रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा

इस पहल से क्षेत्रीय पुजारियों, वेडिंग प्लानर्स, हलवाइयों, होटल व्यवसायियों, ढोल-वादकों और ट्रांसपोर्ट सेवाओं को सीधा लाभ मिल रहा है। वेडिंग आयोजनों के लिए निश्चित दक्षिणा और सेवा शुल्क तय किए गए हैं, जिससे पारदर्शिता बनी रहे। सीतापुर, गुप्तकाशी और निकट के गांवों तक होटल बुकिंग और शादी कार्यक्रमों का विस्तार हो चुका है।

सरकार की योजना और समर्थन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में प्रमोट करने के बाद राज्य गवर्नमेंट ने गंभीरता से कदम उठाए हैं। गवर्नमेंट इस मॉडल को अन्य धार्मिक स्थलों जैसे जागेश्वर, बैजनाथ और कार्तिकस्वामी देवस्थानो में भी लागू करने की योजना बना रही है।

धार्मिक आस्था और आधुनिकता का संगम

त्रियुगीनारायण मंदिर अब केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि सनातन परंपराओं की वैश्विक प्रस्तुति का केंद्र बन चुका है। यह स्थान भारत की संस्कृति, आस्था और आधुनिक पर्यटन की मनोहर मिसाल बनता जा रहा है।

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