अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड (Donald Trump) ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस को 10 गुना से भी ज्यादा बढ़ाने का फैसला किया है। इस कदम से भारतीय आईटी कंपनियों और वर्कर्स पर सीधा असर पड़ेगा क्योंकि इस वीजा श्रेणी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भारतीय ही करते हैं।
नई नीति के तहत H-1B वीजा की आवेदन फीस अब हजारों डॉलर तक पहुंच सकती है, जिससे अमेरिकी कंपनियों पर भारतीय प्रोफेशनल्स को हायर करना महंगा सौदा हो जाएगा। आईटी इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिका में भारतीय इंजीनियरों, डॉक्टरों और रिसर्चर्स की मांग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
भारत सरकार ने भी इस फैसले पर चिंता जताई है और इसे “प्रतिभा प्रवाह” (brain drain) को बाधित करने वाला कदम बताया है। वहीं अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यह बदलाव “अमेरिकी वर्कर्स की सुरक्षा” और “सिस्टम के दुरुपयोग” को रोकने के लिए किया गया है।
भारतीय युवाओं और प्रोफेशनल्स के लिए अब अमेरिका में करियर बनाने का रास्ता पहले से कठिन और महंगा हो जाएगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की ओर भारतीय प्रवासियों का रुझान और बढ़ेगा।
कुल मिलाकर, ट्रंप का यह फैसला अमेरिका-भारत के बीच टेक्नोलॉजी और रोजगार संबंधों पर गहरा असर डाल सकता है।
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