Golden Dome Defense: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी विवादास्पद टिप्पणियों से सनसनी मचाई है। इस बार उनका बयान गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम को लेकर था।
ट्रंप ने कनाडा को यह ऑफर दिया कि अगर वह अमेरिका का हिस्सा बन जाता है, तो उसे गोल्डन डोम सिस्टम का भाग बनने के लिए कोई खर्च नहीं देना पड़ेगा, लेकिन अगर वह स्वतंत्र रहता है, तो उसे 61 बिलियन डॉलर खर्च करने होंगे। यह बयान तब आया जब कनाडा ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम में अपनी दिलचस्पी जताई थी।
गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम क्या है?
गोल्डन डोम एक अत्याधुनिक मल्टीलेयर्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसे स्पेसएक्स और अमेरिकी सैन्य प्रौद्योगिकी के सहयोग से विकसित किया जा रहा है।
यह सिस्टम जमीन, समुद्र, हवा, और अंतरिक्ष आधारित सेंसर और इंटरसेप्टर का उपयोग करेगा, जिससे मिसाइलों को उनकी उड़ान के किसी भी चरण में नष्ट किया जा सकेगा।
यह सिस्टम मुख्य रूप से हाइपरसोनिक मिसाइलों और फ्रैक्शनल ऑर्बिटल बॉम्बार्डमेंट सिस्टम (FOBS) जैसी खतरनाक मिसाइलों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है। खास तौर पर, अंतरिक्ष में तैनात हथियार मिसाइलों को उनके लॉन्च के जल्दी बाद नष्ट करने में सक्षम होंगे।

ट्रंप का कनाडा को गोल्डन डोम ऑफर
Golden Dome Defense: ट्रंप ने कनाडा के लिए यह प्रस्ताव रखते हुए कहा, “अगर कनाडा अमेरिका का भाग बनता है, तो उसे गोल्डन डोम सिस्टम में सम्मिलित होने के लिए कोई पैसा नहीं देना पड़ेगा, लेकिन अगर वह अलग रहता है, तो उसे $61 बिलियन खर्च करने होंगे।”
इस ऑफर को लेकर कनाडा की प्रतिक्रिया अभी तक आधिकारिक रूप से नहीं आई है, लेकिन कनाडा के प्रधान मंत्री मार्क कार्नी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनका देश “कभी भी बिक्री के लिए नहीं है” और वे अमेरिका का भाग नहीं बन सकते।
कार्नी ने यह भी कहा था कि उन्होंने इस मामला पर व्हाइट हाउस से उच्च-स्तरीय वार्तालाप की है और कनाडा की स्वतंत्रता की रक्षा की जाएगी।
गोल्डन डोम की लागत और टाइमलाइन
गोल्डन डोम सिस्टम की अनुमानित लागत 175 बिलियन डॉलर है और इसे 2029 तक चालू किया जाना है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इसके निर्माण में आने वाली वास्तविक लागत 500 बिलियन डॉलर से अधिक हो सकती है, और इसे पूरा होने में दशकों का वक्त लग सकता है।
इस परियोजना की कामयाबी के लिए कई तकनीकी और राजनीतिक चुनौतियां सामने आ सकती हैं, लेकिन ट्रंप का मानना है कि यह सिस्टम दुनिया को नए तरह की सुरक्षा प्रदान करेगा, विशेषकर अंतरिक्ष आधारित मिसाइलों के विरुद्ध।