यह मोदी का युद्ध’… ट्रंप के सलाहकार ने रूस-यूक्रेन जंग को भारत से जोड़ा, बताया टैरिफ आधा कैसे होगा
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के सलाहकार पीटर नवारो ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है, जिसमें उन्होंने रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) युद्ध को ‘मोदी का युद्ध’ करार दिया। नवारो का आरोप है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर इस युद्ध को लंबा खींच रहा है, जो रूस की युद्ध मशीन को फंडिंग प्रदान करता है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है, जो भारतीय निर्यात को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
नवारो ने कहा, “यह मोदी का युद्ध है।” उन्होंने दावा किया कि भारत रोजाना लगभग 1.5 मिलियन बैरल रूसी तेल खरीदता है, जो “कई ड्रोन और बमों को फंड करने के लिए पर्याप्त है जो यूक्रेनियों को मारते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय रिफाइनर रूसी क्रूड को सस्ते में खरीदकर इसे प्रीमियम पर दुनिया को बेचते हैं, जिससे अमेरिकी करदाता हारते हैं क्योंकि उन्हें यूक्रेन की मदद के लिए अधिक पैसा देना पड़ता है। नवारो ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा, “भारत, तुम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हो। लोकतंत्रों के साथ खड़े हो।
इस विवाद की जड़ में व्यापार और ऊर्जा नीतियां हैं। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जिसमें 25 प्रतिशत व्यापार में ‘धोखाधड़ी’ के लिए और 25 प्रतिशत रूसी तेल खरीद के लिए है।
नवारो ने स्पष्ट किया कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे, तो टैरिफ को आधा किया जा सकता है, यानी 25 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा,
“अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे, तो कल ही 25 प्रतिशत की छूट मिल सकती है।”
यह टैरिफ भारत के 131.8 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित करेगा, जिसमें 86.5 बिलियन डॉलर के निर्यात शामिल हैं। भारतीय निर्यातकों ने चेतावनी दी है कि इससे फैक्टरियां बंद हो सकती हैं, नौकरियां जा सकती हैं और ऑर्डर रद्द हो सकते हैं, खासकर कपड़ा उद्योग में।
भारत ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे ‘परेशान करने वाला’ बताया और कहा कि चीन और यूरोपीय संघ रूस से अधिक तेल और गैस खरीदते हैं, फिर भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?
जयशंकर ने याद दिलाया कि अमेरिका ने ही भारत को विश्व ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए रूसी तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था। उन्होंने कहा, “हम एक ऐसा देश हैं जहां अमेरिकियों ने पिछले कुछ वर्षों में कहा है कि हमें विश्व ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए सब कुछ करना चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना शामिल है।”
जयशंकर ने अतिरिक्त टैरिफ को ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया और वादा किया कि भारत राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
यह घटना भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया तनाव पैदा कर रही है। एक तरफ ट्रंप का ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति, जिसमें व्यापार असंतुलन और भू-राजनीतिक दबाव शामिल हैं, वहीं भारत की ऊर्जा सुरक्षा और कूटनीतिक संतुलन की जरूरत। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह विवाद बढ़ा, तो वैश्विक ऊर्जा बाजार और व्यापार प्रभावित होंगे।
भारत को अब रूस के साथ अपने संबंधों को पुनर्विचार करने या वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की तलाश करने की चुनौती है। कुल मिलाकर, नवारो का बयान न केवल युद्ध की जिम्मेदारी को स्थानांतरित करने का प्रयास लगता है, बल्कि व्यापार युद्ध को भू-राजनीति से जोड़ने का भी। क्या भारत इस दबाव में झुकेगा या अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखेगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।
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