ट्रंप हार्वर्ड विवाद: 2024 में अमेरिका की प्रमुख यूनिवर्सिटियों, मुख्य रूप से हार्वर्ड कैंपस में फिलिस्तीन के समर्थन में विद्यार्थियों द्वारा किए गए प्रदर्शन के बाद ट्रंप प्रशासन ने कठोर रुख अपना लिया। इन विरोध प्रदर्शनों को लेकर गवर्नमेंट ने यूनिवर्सिटियों पर यहूदी-विरोधी माहौल को बढ़ावा देने का इलज़ाम लगाया।
फंडिंग रोकने का बड़ा निर्णय
अमेरिका की शिक्षा सचिव लिंडा मैकमोहन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को एक पत्र जारी कर स्पष्ट किया कि अब से यूनिवर्सिटी को किसी भी प्रकार की केंद्रीय फंडिंग नहीं दी जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि हार्वर्ड ने अपने नैतिक, कानूनी और पारदर्शिता से जुड़े कर्तव्यों का पालन नहीं किया है।
हार्वर्ड का जवाब – नहीं झुकेगी यूनिवर्सिटी
हार्वर्ड ने गवर्नमेंट के इस कदम को “रिसर्च को दबाने की प्रयत्न” बताया और कहा कि वह इस अवैध हस्तक्षेप का प्रतिरोध करता रहेगा। यूनिवर्सिटी ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि वह विविधता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कैंपस में किसी भी प्रकार के दमन के विरुद्ध खड़ी रहेगी।
अरबों डॉलर की ग्रांट पर कानूनी लड़ाई
हार्वर्ड ने पहले ही 2.2 बिलियन डॉलर की फंडिंग पर रोक के विरुद्ध कानूनी लड़ाई आरंभ कर दी है। फिलहाल 9 बिलियन डॉलर की अन्य ग्रांट्स की समीक्षा की जा रही है। विश्वविद्यालय का कहना है कि ट्रंप गवर्नमेंट एडमिशन प्रक्रिया, फैकल्टी चयन और छात्र आंदोलनों पर नियंत्रण चाहती है, जिसे वह कभी स्वीकार नहीं करेगी।
अन्य यूनिवर्सिटियां भी निशाने पर
ट्रंप हार्वर्ड विवाद: ट्रंप प्रशासन केवल हार्वर्ड ही नहीं, बल्कि येल, स्टैनफोर्ड और कोलंबिया जैसी अन्य प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटियों पर भी शिकंजा कस रही है। इन संस्थानों की टैक्स फ्री स्थिति, अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के वीजा और विदेशी फंडिंग की भी पड़ताल आरंभ हो चुकी है।