Trump Nobel पाकिस्तान ने रखा प्रस्ताव, भारत ने किया खंडन
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है Trump Nobel Peace Prize के लिए उनका नाम पाकिस्तान द्वारा प्रस्तावित किया जाना। पाकिस्तान ने हाल ही में एक आधिकारिक बयान में कहा कि ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान तनाव के समय “निर्णायक कूटनीतिक हस्तक्षेप” किया था, इसलिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार का हकदार माना जाना चाहिए।
पाकिस्तान ने क्यों किया समर्थन?
- पाकिस्तान का दावा है कि Donald Trump ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़े टकराव को टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- हाल ही में वाशिंगटन में ट्रंप और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनिर के बीच एक अहम मुलाकात हुई थी,
- जिसके बाद यह प्रस्ताव सामने आया।
- पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप को “शांति के प्रतीक” के रूप में बताया और उन्हें 2026 Nobel Peace Prize के लिए नामांकित करने का प्रस्ताव रखा।

भारत का जवाब: मध्यस्थता नहीं स्वीकार
- भारत सरकार ने इस दावे को सिरे से खारिज किया है।
- विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा: “भारत ने कभी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की।
- सभी मुद्दे द्विपक्षीय तरीके से हल किए जाते हैं।”
- भारत का हमेशा से रुख रहा है कि कश्मीर और अन्य द्विपक्षीय मुद्दे भारत और पाकिस्तान के बीच हल होंगे, किसी बाहरी शक्ति की जरूरत नहीं।
क्या Donald Trump को मिल सकता है Nobel?
- यह पहला मौका नहीं है जब Trump का नाम Nobel Peace Prize के लिए सामने आया हो।
- इससे पहले भी उन्हें कोरियाई संकट, अब्राहम अकॉर्ड्स और अफगान वार डील में भूमिका को लेकर नामांकित किया जा चुका है।
- हालांकि अब तक उन्हें कभी यह पुरस्कार नहीं मिला।

राजनीतिक विश्लेषण क्या कहता है?
- विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रस्ताव पाकिस्तान की राजनयिक रणनीति का हिस्सा है,
- ताकि वह अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी स्थिति मजबूत कर सके।
- वहीं भारत का साफ और कड़ा रुख यह दर्शाता है कि वह किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को नहीं मानता,
- भले ही वह कितना भी प्रभावशाली नाम क्यों न हो।
Trump Nobel को लेकर पाकिस्तान का यह प्रस्ताव न केवल दक्षिण एशिया की कूटनीति में हलचल पैदा करता है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी एक बहस की शुरुआत करता है। जहां पाकिस्तान इसे Donald Trump की शांति प्रयासों की मान्यता मानता है, वहीं भारत इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर देता है। अब देखना यह होगा कि क्या नोबेल समिति इस नामांकन को गंभीरता से लेती है या इसे महज एक राजनीतिक कवायद माना जाएगा।