तालिबान को चेतावनी, चीन पर भी नजर
वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप(Donald Trump) ने अफगानिस्तान(Afghanistan) के बगराम एयरबेस को लेकर सख्त रुख दिखाया है। ट्रंप ने साफ कहा है कि अगर तालिबान(Taliban) ने यह एयरबेस अमेरिका को नहीं सौंपा तो नतीजे बेहद खराब होंगे। 2021 में अमेरिकी सेना की वापसी के बाद यह एयरबेस तालिबान के नियंत्रण में है। अब ट्रंप इस पर दोबारा नियंत्रण पाने के लिए दबाव बना रहे हैं।
ट्रंप का कड़ा रुख और पृष्ठभूमि
ट्रंप(Trump) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि बगराम एयरबेस अमेरिका का है और इसे वापस न देने पर हालात गंभीर होंगे। उन्होंने याद दिलाया कि 9/11 हमलों के बाद अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में सैन्य अभियानों के दौरान इस अड्डे का इस्तेमाल किया था। शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह इस विषय पर तालिबान से वार्ता कर रहे हैं।
हालांकि तालिबान ने अमेरिका की मांग को पूरी तरह खारिज कर दिया है। अफगान विदेश मंत्रालय के अधिकारी जाकिर जलाल ने कहा कि अफगानिस्तान और अमेरिका को आपसी बातचीत की जरूरत है, लेकिन किसी भी हिस्से में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति स्वीकार्य नहीं होगी।
चीन की परमाणु सुविधाओं को लेकर चिंता
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से मुलाकात में ट्रंप ने बगराम एयरबेस की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह अड्डा चीन के परमाणु हथियार निर्माण केंद्र से महज एक घंटे की दूरी पर है। इसलिए अमेरिकाइसे रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानता है।
ट्रंप(Trump) का मानना है कि अफगान अधिकारियों को भी अमेरिका से कई चीजों की जरूरत है, और इसी आधार पर बगराम एयरबेस पर सौदेबाजी हो सकती है। मगर तालिबान की सख्त आपत्ति के चलते बातचीत आगे बढ़ना मुश्किल लग रहा है।
ट्रंप बगराम एयरबेस को क्यों जरूरी मानते हैं?
ट्रंप का कहना है कि यह अड्डा चीन की परमाणु फैसिलिटी के पास स्थित है। अमेरिका इसे अपनी सुरक्षा और रणनीतिक हितों के लिए अहम मानता है, इसलिए इसे वापस पाना चाहता है।
तालिबान ने अमेरिकी मांग को कैसे देखा है?
तालिबान ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी रूप में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को स्वीकार नहीं करेगा। उसका कहना है कि अफगानिस्तान अपनी भूमि पर किसी विदेशी सैनिक को जगह नहीं देगा।
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