डोनाल्ड Trump’s tariff लिस्ट में रूस का नाम क्यों नहीं है? जानें पीछे की वजह
डोनाल्ड Trump’s tariff द्वारा घोषित नई टैरिफ़ लिस्ट ने वैश्विक स्तर पर एक बार फिर हलचल मचा दी है। चीन, भारत, वियतनाम और मैक्सिको जैसे कई देशों को इस बार अमेरिकी व्यापार प्रतिबंधों के तहत लाया गया है। हालांकि, आश्चर्य की बात यह है कि इस सूची में रूस का नाम नहीं है। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर ट्रंप ने रूस को टैरिफ़ से बाहर क्यों रखा?

मौजूदा प्रतिबंध पहले से ही लागू हैं
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि अमेरिका और रूस के बीच व्यापार संबंध पहले से ही बेहद सीमित हैं। अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं। व्हाइट हाउस की सफाई के अनुसार, रूस के साथ “व्यावहारिक रूप से कोई व्यापार नहीं” हो रहा है। इसलिए, नया टैरिफ़ लगाने का कोई तात्पर्य नहीं बनता।
“There is virtually no trade with Russia,” — व्हाइट हाउस प्रवक्ता
कूटनीति की संभावनाएं बनी हुई हैं
हाल ही में खबर आई थी कि रूसी संप्रभु संपत्ति कोष के प्रमुख किरिल दिमित्रिएव ने अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की है। यह मीटिंग संभावित शांति वार्ता की पहल के तहत हुई थी। ऐसे में रूस पर टैरिफ़ लगाना इन कूटनीतिक प्रयासों को नुकसान पहुँचा सकता था।

रूस का निर्यात अब भी मौजूद है
हालाँकि अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, फिर भी रूस ने 2024 में लगभग $3.5 बिलियन डॉलर का निर्यात अमेरिका को किया है। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि व्यापार पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इसी वजह से कुछ विशेषज्ञ यह तर्क दे रहे हैं कि रूस को टैरिफ़ से बाहर रखना एक राजनीतिक रणनीति हो सकती है।
क्या यह ट्रंप की चुनावी रणनीति है?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ट्रंप का यह कदम अमेरिकी चुनावों की रणनीति से भी जुड़ा हो सकता है। ट्रंप पहले भी रूस के साथ नरम रवैया अपनाने के लिए जाने जाते रहे हैं। ऐसे में यह फैसला उनके समर्थक वर्ग को ध्यान में रखते हुए लिया गया हो सकता है।
डोनाल्डTrump’s tariff लिस्ट में रूस का नाम न होना कई वजहों से है—पहले से लगे प्रतिबंध, कूटनीतिक वार्ता की संभावनाएं और सीमित व्यापार। हालांकि, इस फैसले को लेकर सवाल उठ रहे हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में अमेरिका और रूस के बीच रिश्ते किस दिशा में जाते हैं।
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