ईवीएम(इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन)को लेकर अमेरिका के संघीय खुफिया विभाग की निदेशक तुलसी गबार्ड के एक ताजा वीडियो क्लिप से ईवीएम की विश्वसनीयता पर बहस छिड़ गयी है। बहस के बीच भारत के चुनाव आयोग के सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि भारत की वोटिंग मशीनें अभेद्य हैं।
ईवीएम प्रणाली में सेंधमारी संभव
सुश्री गबार्ड ने वीडियाे में कहा है कि उनके विभाग को ऐसे सबूत मिले हैं। जिससे दिखाता है कि ईवीएम प्रणाली में सेंधमारी की जा सकती है।
यहां चुनाव आयोग के सूत्रों ने इस बारे में सम्पर्क किया।चुनाव आयोग ने कहा कि , “ हमारी इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) एक तरह से कैलकुलेटर जैसी हैं और हैकिंग के प्रति अभेद्य हैं। इनका किसी ऐसे सिस्टम से कोई जुड़ाव नहीं होता। कोई उस सिस्टम के जरिए इनके डाटा के साथ कोई छेड़-छाड़ या उनकी हैकिंग कर सके। ”
पेपर बैलेट (मत-पत्र) लागू करने से जनादेश को और मजबूती
उन्होंने अमेरिका के संदर्भ में यह भी कहा,“ इन सबूतों से पूरे देश में पेपर बैलेट (मत-पत्र) लागू करने के आपके (अमेरिका के लोगों के) जनादेश को और मजबूती मिलती है। मतदाताओं को हमारे चुनावों की निष्पक्षता और शुद्धता पर भरोसा रहे।
इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निकट सहयोगी एलॉन मस्क भी ईवीएम प्रणाली की दुर्बलता पर बात कीथी। वे इनके इस्तेमाल की मुखालिफत कर चुके हैं। सु। आयोग नेकहा कि भारतीय ईवीएम की विश्वसनीयता अकाट्य है। आयोग ने देश में इस्तेमाल हो रही ईवीएम पर सवाल उठाने वालों के लिए इससे पहले ‘हैकिंग चैलेंज’ में भाग लेने का खुला आमंत्रण भी दे चुका है।
भारतीय ईवीएएमअकाट्य
आयोग के सूत्रों ने कहा, “ भारत ऐसी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) का उपयोग करता है जो सरल, सही और सटीक कैलकुलेटर की तरह काम करती हैं । इन्हें इंटरनेट, वाईफाई या इन्फ्रारेड से नहीं जोड़ा जा सकता है। ”
सूत्रों ने पिछले आम चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले चुनावों में राजनीतिक दलों के सामने मतगणना के दौरान देश भर में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में पांच करोड़ से अधिक वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन और मिलान किया जा चुका है।
इस मिलान में वोटिंग मशीन के नतीजे पर्चियों की गणना के नतीजों के ही समान निकले हैं।
ईवीएम से छेडछाड संभव नही
सूत्रों ने कहा कि अलग-अलग देश अलग-अलग तरह की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली का उपयोग करते हैं। उनकी प्रणालियां इंटरनेट सहित विभिन्न निजी नेटवर्क प्रणालियों, मशीनों और प्रक्रियाओं पर आधारित मिली जुली प्रणाली है।
भारत में इस्तेमाल की जाने वाली ईवीएम इंटरनेट या किसी अन्य नेटवर्क से पूरी तरह असम्बद्ध हैं। इसे स्वतंत्र इकाई के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं।
भारत में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल ईवीएम की विश्वसनीयता के खिलाफ सवाल उठाते रहे हैं। उच्चतम न्यायालय भारत में ईवीएम की जगह मतपत्र और मत पेटी की पुरानी व्यवस्था को पुन: अपनाने का आदेश दिए जाने के अनुरोध को खारिज कर चुका है।