Earthquakes अफगानिस्तान में शनिवार को भूकंप दो जबरदस्त झटके महसूस किए गए। इाके अलावा म्यांमार (myanmar) में भी भूकंप (Earthquakes) के झटकों से लोग दहशत में आ गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के एक बयान में कहा गया है कि शनिवार को अफगानिस्तान में दो भूकंप के झटके महसूस किए गए।
ताजा भूकंप Earthquakes रिक्टर पैमाने पर 4.0 तीव्रता का था। देर रात 2.11 बजे आए भूकंप का केंद्र जमीन से 125 किमी गहराई में था। इससे पहले अफगानिस्तान में रिक्टर पैमाने पर 4.2 तीव्रता का भूकंप आया था। राम 01.26 बजे आए भूकंप का केंद्र जमीन से 190 किमी गहराई में था।
इससे पहले राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के एक बयान में कहा गया था कि शुक्रवार देर रात अफगानिस्तान में 4.6 तीव्रता का भूकंप आया। 17 जुलाई को भी रिक्टर पैमाने पर 4.7 तीव्रता का भूकंप आया था। अफगानिस्तान में शक्तिशाली भूकंपों का इतिहास रहा है। रेड क्रॉस के अनुसार, हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला एक भूगर्भीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है, जहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं।
म्यांमार में 3.7 तीव्रता का भूकंप
एनसीएस के मुताबिक, शनिवार को म्यांमार में भी 3.7 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप 105 किलोमीटर की गहराई में आया। सुबह 03.26 बजे भूकंप के बाद लोग दहशत में आ गए और घरों से बाहर निकल आए। इससे पहले शुक्रवार को म्यांमार में 4.8 तीव्रता का भूकंप आया था। 17 जुलाई को भी 80 किमी की गहराई में भूकंप आया था।
यूरेशियन और इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेटों के बीच टकराव की वजह से म्यांमार एक उच्च भूकंपीय खतरे वाला क्षेत्र है। अंतरराष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र की ओर से संक्षेपित भूकंप मापदंडों के अनुसार, 1990 से 2019 तक म्यांमार और उसके आसपास के क्षेत्रों में हर साल 3.0 से अधिक या उसके बराबर तीव्रता वाली लगभग 140 घटनाएं घटी हैं।
अफगानिस्तान में क्या खतरा है?
पूरे अफ़ग़ानिस्तान में यात्रा करना बेहद खतरनाक है। काबुल सहित पूरे देश में सड़कों पर तालिबान की चौकियाँ हैं। अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीनी सीमाओं को पार करना ख़तरनाक हो सकता है। सीमा पर बढ़ते तनाव या आतंकवादी हमले के बढ़ते ख़तरे की आशंका के कारण सीमा पार करने वाले स्थान बिना किसी पूर्व सूचना के बंद किए जा सकते हैं।
अफगानिस्तान का नाम अफगानिस्तान क्यों पड़ा?अंतिम अफ़गान साम्राज्य
“अब अफगानिस्तान के रूप में जाना जाने वाला देश 18वीं शताब्दी के मध्य से ही इस नाम से जाना जाता है, जब अफगान जाति की सर्वोच्चता सुनिश्चित हो गई थी: पहले विभिन्न जिलों में अलग-अलग नाम थे, लेकिन देश एक निश्चित राजनीतिक इकाई नहीं था, और इसके घटक भाग किसी भी जाति या भाषा की पहचान से बंधे नहीं थे।