Jagannath Ratha Yatra 2025: क्यों अधूरी है भगवान की मूर्ति?

By digital | Updated: June 23, 2025 • 12:11 PM

Jagannath Ratha Yatra 2025 भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्ति का रहस्य

हर वर्ष भव्यता और श्रद्धा के साथ आयोजित होने वाली Jagannath Ratha Yatra 2025 को लेकर भक्तों में भारी उत्साह है। लेकिन एक बात जो हर किसी को हैरान करती है—भगवान जगन्नाथ की मूर्ति अधूरी क्यों है? क्यों उनके हाथ-पैर नहीं होते? इस रहस्य के पीछे एक गहरी पौराणिक कथा जुड़ी हुई है

Jagannath Ratha Yatra में अधूरी मूर्ति की परंपरा

पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की लकड़ी से बनी मूर्तियाँ विराजमान हैं। Jagannath Ratha Yatra के समय इन्हीं मूर्तियों को रथ पर बैठाकर नगर भ्रमण कराया जाता है। खास बात ये है कि भगवान जगन्नाथ की मूर्ति अधूरी होती है—उनके हाथ और पैर स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते।

Jagannath Ratha Yatra 2025: क्यों अधूरी है भगवान की मूर्ति?

पौराणिक कथा: क्यों अधूरी रही भगवान जगन्नाथ की मूर्ति?

इस रहस्य के पीछे एक अत्यंत रोचक कथा है। कहा जाता है:

Jagannath Ratha Yatra 2025: क्यों अधूरी है भगवान की मूर्ति?

क्या है अधूरी आकृति का आध्यात्मिक महत्व?

Jagannath Ratha Yatra के दौरान भगवान की अधूरी आकृति यह दर्शाती है कि—

Jagannath Ratha Yatra के दौरान मूर्तियों का निर्माण और नवकल्ब

हर 12 से 19 वर्षों में “नवकल्ब” होता है जिसमें नई मूर्तियाँ बनाई जाती हैं। इस प्रक्रिया में भी वही परंपरा निभाई जाती है—मूर्तियाँ अधूरी ही बनाई जाती हैं। इससे यह परंपरा और भी प्राचीन व रहस्यमयी हो जाती है।

आस्था और अधूरेपन का दिव्य मेल

Jagannath Ratha Yatra केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और रहस्य का संगम है। भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्ति इस बात की प्रतीक है कि श्रद्धा में पूर्णता की आवश्यकता नहीं होती—जहां भाव है, वहीं भगवान हैं।

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