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कांग्रेस ने बोडो समझौते पर हस्ताक्षर कर मजाक उडया: अमित शाह

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह असम के कोकराझार में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) के 57वें वार्षिक सम्मेलन में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बोडो समझौते पर हस्ताक्षर करने पर हमारा मजाक उड़ाया, लेकिन इस समझौते से बोडोलैंड में शांति और विकास आया.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस समय नॉर्थ-ईस्ट के दौरे पर हैं. रविवार (16 मार्च) को वो असम के कोकराझार में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) के 57वें वार्षिक सम्मेलन में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बोडो समझौते पर हस्ताक्षर करने पर हमारा मजाक उड़ाया, लेकिन इस समझौते से बोडोलैंड में शांति और विकास आया.

अपने संबोधन में शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने 35 लाख की आबादी वाले बोडोलैंड के विकास के लिए 1500 करोड़ रुपए दिए हैं. बोडो युवाओं से उन्होंने कहा कि 2036 के. ओलंपिक की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, जिसका आयोजन अहमदाबाद में होना प्रस्तावित है. उन्होंने कहा कि बोडो समझौते के 82 प्रतिशत खंड लागू किए जा चुके हैं और अगले दो वर्षों में 100 प्रतिशत लागू कर दिए जाएंगे.

‘कांग्रेस ने उड़ाया बोडो समझौते का मजाक’

केंद्रीय गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए समझौते की 100 प्रतिशत शर्तों को लागू करेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की शुरुआती शंकाओं के बाद भी असम सरकार और केंद्र ने समझौते की करीब 82 प्रतिशत शर्तों को लागू किया है. उन्होंने कहा कि यह आयोजन बोडोलैंड में स्थापित शांति का संदेश है. शाह ने कहा ‘मुझे अभी भी याद है कि 27 जनवरी 2020 को जब बीटीआर (बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र) शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, तो कांग्रेस पार्टी मेरा मजाक उड़ाती थी कि बोडोलैंड में कभी शांति नहीं होगी और यह समझौता एक मजाक बन जाएगा’.

‘केंद्र ने समझौते की करीब 82 प्रतिशत शर्तों को लागू किया’

शाह ने कहा कि लेकिन आज असम सरकार और केंद्र ने इस समझौते की लगभग 82 प्रतिशत शर्तों को लागू किया है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अगले 2 सालों में समझौते की 100 प्रतिशत शर्तों को लागू करेगी. इसके बाद बीटीआर क्षेत्र में लंबे समय तक शांति बनी रहेगी. उन्होंने बताया कि समझौते के प्रावधानों के तहत 1 अप्रैल, 2022 को पूरे बोडोलैंड क्षेत्र से सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा अधिनियम) को हटा दिया गया है.

असम सरकार और बोडो समुदाय के बीच बोडो समझौता

असम सरकार और बोडो समुदाय के बीच जनवरी 2020 में बोडो समझौता हुआ था. उस समझौते का मकसद आंतरिक संघर्ष पर विराम लगाना था. बोडो जनजाति के लोग दशकों से ब्रह्मपुत्र नदी के तट के ऊपरी क्षेत्र को एक अलग बोडोलैंड राज्य बनाने की मांग कर रहे थे. बोडो समुदाय का मानना था कि अन्य समुदायों की मौजूदगी से इस समुदाय की पहचान और संस्कृति को खतरा है. बोडो समुदाय और इसके कई संगठनों ने कई बार अपनी बात को मनवाने के लिए हिंसा का रास्ता भी अपनाया. हालांकि जनवरी 2020 में हुए बोडो समझौते से इस हिंसा पर रोक लग गई थी.





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