प्रत्येक कार्यक्रम में होंगी 60 सीटें
हैदराबाद। कोत्तागुडेम स्थित तेलंगाना पृथ्वी विज्ञान विश्वविद्यालय में चार नए पाठ्यक्रम – भूविज्ञान (Geology), भूभौतिकी, भू-रसायन विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान (Environmental Science) – शुरू किए जाने वाले हैं । ये पाठ्यक्रम शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों पर उपलब्ध होंगे। प्रत्येक कार्यक्रम में 60 सीटें होंगी। स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश डिग्री ऑनलाइन सर्विसेज, तेलंगाना ( डीओएसटी ) के माध्यम से होगा और आगामी विशेष चरण वेब-आधारित काउंसलिंग में सीटें उपलब्ध होंगी। पीजी सीटें कॉमन पोस्ट ग्रेजुएट एंट्रेंस टेस्ट (सीपीजीईटी) प्रवेश काउंसलिंग के माध्यम से भरी जाएँगी।
विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत पर होगी बैठक
बुधवार को, तेलंगाना पृथ्वी विज्ञान विश्वविद्यालय, शिक्षा विभाग की सचिव डॉ. योगिता राणा की अध्यक्षता में, टीजीसीएचई के अध्यक्ष प्रो. वी. बालाकिस्ता रेड्डी के साथ, विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत पर एक बैठक आयोजित करेगा। बैठक के एजेंडे में संकाय भर्ती, पाठ्यक्रम विकास और पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए अन्य बुनियादी ढाँचे की आवश्यकताएँ शामिल हैं। इससे पहले, राज्य सरकार ने खनन महाविद्यालय को तेलंगाना के पृथ्वी विज्ञान विश्वविद्यालय में अपग्रेड करने की मंज़ूरी दे दी थी, जिसका उद्देश्य पृथ्वी विज्ञान और खनन में विषयों की शिक्षा प्रदान करना था। अपग्रेडेशन के बाद, सरकार ने कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग तथा इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की शुरुआत की।

पृथ्वी का असली नाम क्या है?
वैज्ञानिक या “असली” नाम “टेरे” (Terra) या “गाइआ” (Gaia) है, जो लैटिन और ग्रीक भाषाओं से लिया गया है। संस्कृत में इसे “पृथ्वी” कहा गया है, जो पृथु राजा से जुड़ा है। अंग्रेज़ी में इसे “Earth” कहा जाता है।
पृथ्वी विज्ञान की प्रमुख शाखाएं कौन सी हैं?
प्रमुख शाखाएं हैं:
- भूविज्ञान (Geology) – चट्टानों और परतों का अध्ययन।
- भूगर्भशास्त्र (Geophysics) – पृथ्वी के आंतरिक भौतिक गुणों का अध्ययन।
- मौसम विज्ञान (Meteorology) – वायुमंडल और मौसम।
- जलविज्ञान (Hydrology) – जल स्रोत और वितरण।
- भूगोल (Geography) – पृथ्वी की सतह और मानव प्रभाव।
पृथ्वी की उत्पत्ति कब हुई थी?
उत्पत्ति लगभग 4.54 अरब वर्ष (बिलियन साल) पहले हुई थी। यह सौरमंडल के बनने के दौरान गैस और धूल के बादल से बनी। वैज्ञानिक इसे नेब्युलर थ्योरी के अनुसार समझते हैं, जिसमें सूर्य और ग्रह एक साथ उत्पन्न हुए थे।
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