UP। मऊ (Mau) जनपद के मुहम्मदाबाद गोहना शिक्षा क्षेत्र में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां शिक्षामित्र दीप नारायण सिंह और बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) संतोष उपाध्याय के बीच तीखा विवाद छिड़ गया है। दीप नारायण सिंह, जो देवरिया बड़ी कंपोजिट विद्यालय में शिक्षामित्र के रूप में तैनात हैं, ने दावा किया है कि उन्होंने फरवरी 2021 में केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) पास कर ली है और उनके पास सहायक अध्यापक पद के लिए सभी वैध दस्तावेज मौजूद हैं।
उनका कहना है कि शिक्षा विभाग को उन्हें स्थायी शिक्षक पद पर नियुक्त करना अनिवार्य है, लेकिन विभाग ने उनके रिकॉर्ड को गलत तरीके से शिक्षामित्र पद पर दर्ज किया है।
C-TET पास अभ्यर्थी ही बन सकते हैं शिक्षक
वहीं, बीएसए संतोष उपाध्याय का कहना है कि बिना शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) क्वालीफाई किए किसी भी शिक्षामित्र को सहायक अध्यापक के रूप में स्थायी नियुक्ति नहीं दी जा सकती। इस विरोधाभास के बीच दीप नारायण ने बीएसए कार्यालय पर 20 लाख रुपये रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप लगाया है।
उनका दावा है कि जब वे अपने कागजात सही कराने बीएसए कार्यालय गए, तो कर्मचारियों ने उनसे कहा, “20 लाख रुपये दो, तो तुम्हारा कागजात ठीक कर दिया जाएगा।” इस भ्रष्टाचार से तंग आकर दीप नारायण ने बीआरसी केंद्र, मुहम्मदाबाद गोहना पर सोमवार सुबह 11 बजे से आमरण अनशन शुरू कर दिया है।
“दस्तावेज सही, न्युक्ति नहीं तो दिल्ली तक पैदल यात्रा करूँगा”
उनकी मांग है कि उनके दस्तावेजों की निष्पक्ष जांच कर सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति दी जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो वे मऊ से इलाहाबाद होते हुए दिल्ली सुप्रीम कोर्ट तक पैदल यात्रा करेंगे। यह मामला मऊ के बेसिक शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है, जो पहले भी कई विवादों में घिर चुका है।
उदाहरण के लिए, 2020 में 64 शिक्षकों की नियुक्तियां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रद्द की गई थीं, और हाल ही में 48 अन्य शिक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
मजे की बात यह है कि बीएसए जहां टीईटी को अनिवार्य बता रहे हैं, वहीं सीटेट पास अभ्यर्थी को धरना-प्रदर्शन और अनशन का सहारा लेना पड़ रहा है। दीप नारायण के अनशन ने स्थानीय शिक्षक समुदाय और जनता का ध्यान खींचा है। कई लोग उनके समर्थन में उतर आए हैं और इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं।
मऊ का बेसिक शिक्षा विभाग अब एक बड़े विवाद में फंसता नजर आ रहा है। प्रशासन ने जांच शुरू करने का आश्वासन दिया है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर सच किसके साथ है। जांच के नतीजे ही यह तय करेंगे कि दीप नारायण के आरोप सत्य हैं या बीएसए का दावा सही है। फिलहाल, यह मामला जनपद में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
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