साधु-संतों, समाजसेवियों ने भी मंदाकिनी को स्वच्छ करने में दिए अपने विचार
यूपी के चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा मां मंदाकिनी को निर्मल-अविरल बनाए रखने एवं प्रदूषण मुक्त करने के उद्देश्य से धर्मनगरी के साधु-संतों व समाजसेवी संस्थाओं के साथ बैठक हुई जहां 25 व 26 मई को मां मंदाकिनी स्वच्छता कार्यक्रम एवं जन-जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री भी शामिल होंगे।
करोड़ों श्रद्धालु मां मंदाकिनी में लगाते हैं डूबकी
कार्यक्रम में डीआरआई के संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में आने वाले करोड़ों श्रद्धालु मां मंदाकिनी में पवित्र स्नान कर भगवान कामतानाथ की परिक्रमा करते हैं। माँ मंदाकिनी केवल एक नदी न होकर चित्रकूट में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए आस्था का केंद्र है। साथ ही यह चित्रकूट की जीवनरेखा भी है जिससे चित्रकूटवासियों को पीने के लिए शुद्ध जल प्राप्त होता है।
मंदाकिनी नदी अत्यधिक प्रदूषित
उन्होंने बताया कि माँ Mandakini एक पौराणिक नदी है जिसका उद्गम स्थल सतीअनुसुइया आश्रम है। माँ मंदाकिनी नदी का निर्मल प्रवाह मध्य प्रदेश के चित्रकूट से होते हुए उत्तर प्रदेश के जनपद चित्रकूट के सरधुवा ग्राम के पास यमुना नदी में मिलता है। वर्तमान में माँ मंदाकिनी नदी अत्यधिक प्रदूषित होने के कारण इसकी अविरल प्रवाह की धारा भी मंद हो गयी है। प्रतिवर्ष करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु चित्रकूट आते हैं, उनके एवं स्थानीय लोगों द्वारा उपयोग किये गये प्लास्टिक, थर्मोकोल, साबुन-शैम्पू, पूजन सामग्री आदि के नदी में प्रवाहित होने के कारण माँ मंदाकिनी की निर्मल धारा प्रदूषित हो रही है।
24 मई को संगोष्ठी कर आगामी कार्ययोजना की जाएगी तय
उन्होंने बताया कि मां mandakini स्वच्छता कार्यक्रम के अन्तर्गत 24 मई को संगोष्ठी कर आगामी कार्ययोजना तय की जाएगी। साथ ही 25 एवं 26 मई को प्रातः छह बजे से रामघाट एवं राघव प्रयाग घाट में जन-जागरुकता एवं सामूहिक स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। स्वच्छता कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष डॉ मोहन नागर भी शामिल होंगे।
उन्होंने लोगों से अपील किया कि नदी के जल ग्रहण क्षेत्र में अधिक से अधिक पौध रोपण कर उनकी दो-तीन वर्षों तक देख-रेख करें तथा पर्यावरण के रक्षार्थ पत्तों से तैयार दोना-पत्तल का अधिकाधिक प्रयोग करें। साथ ही माँ मंदाकिनी को स्वच्छता कार्यक्रम में सहभागी बनकर पुण्य लाभ अर्जित करें।