मऊ UP: उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर (OP Rajbhar) सोमवार, 18 अगस्त 2025 को मऊ के एमपी-एमएलए कोर्ट में आत्मसमर्पण करने पहुंचे। यह कदम 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन के मामले में दर्ज मुकदमे से जुड़ा है। हालांकि, कोर्ट परिसर में एक अनोखी घटना ने सुर्खियां बटोरी, जब बार काउंसिल मऊ के महामंत्री अजय सिंह ने राजभर की गाड़ी को परिसर से बाहर करने का आदेश दिया। उन्होंने तर्क दिया, “यह सचिवालय नहीं, न्यायालय है, जहां सभी के लिए समान नियम लागू होते हैं।”
क्या था मामला
मामला 2019 का है, जब राजभर ने हलधरपुर थाना क्षेत्र में एक जनसभा में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। उड़न दस्ते के अधिकारी रुद्रभान पांडे की शिकायत पर हलधरपुर थाने में आचार संहिता उल्लंघन का मुकदमा दर्ज हुआ था। सोमवार को कोर्ट में पेशी के दौरान राजभर ने कहा, “मैं कानून का सम्मान करने आया हूं, यह सबके लिए बराबर है।” फिर भी, उनकी गाड़ी को कोर्ट परिसर में प्रवेश से रोकने का फैसला विवादास्पद हो गया।
‘न्यायालय की गरिमा बनाए रखने का प्रयास’
अजय सिंह ने इसे न्यायालय की गरिमा बनाए रखने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा, “कोई भी, चाहे मंत्री हो या आम नागरिक, कोर्ट में नियमों का पालन करना होगा। गाड़ी के साथ विशेष सुविधा देने से न्यायिक मर्यादा खंडित होती है।” इस घटना ने मऊ में चर्चा शुरू कर दी है। कुछ लोग इसे उचित मानते हैं, जबकि कुछ इसे राजभर के साथ भेदभाव बता रहे हैं।
कोर्ट ने सुनवाई के बाद राजभर को जमानत दे दी, लेकिन इस घटना ने स्थानीय राजनीति और न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। अब सभी की नजरें आगे की सुनवाई पर टिकी हैं, क्योंकि यह मामला और गहरा सकता है।
ये भी पढ़ें