US‑China Deal चीनी वस्तुओं पर 55% टैरिफ, ट्रम्प का बड़ा ऐलान 55% टैरिफ की डील क्यों है अहम
अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे व्यापार युद्ध पर अब एक नया मोड़ आया है। ट्रम्प ने घोषणा की है कि US‑China Deal अब लगभग फाइनल हो चुकी है और इसके तहत चीनी वस्तुओं पर कुल 55% टैरिफ लगाया जाएगा।
यह डील केवल दोनों नेताओं की अंतिम मंजूरी का इंतजार कर रही है।
टैरिफ की पूरी संरचना
डोनाल्ड ट्रम्प के अनुसार यह 55% टैरिफ तीन स्तरों में विभाजित है:
- 10% बेसलाइन रेसिप्रोकल टैरिफ
- 20% फेंटेनाइल उल्लंघन शुल्क
- 25% पूर्व में लागू टैरिफ
इस प्रकार, कुल मिलाकर चीनी वस्तुओं पर 55% का आयात शुल्क लगेगा, जबकि चीन केवल 10% टैरिफ अमेरिकी वस्तुओं पर लगाएगा।

Rare Earth सप्लाई पर बड़ा समझौता
इस डील में एक और महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि चीन अमेरिका को rare earth minerals और magnets की आपूर्ति करने पर सहमत हुआ है। यह सामग्री टेक्नोलॉजी, रक्षा और ऑटो सेक्टर के लिए बेहद आवश्यक मानी जाती है।
चीनी छात्रों के लिए राहत
US‑China Deal में यह भी शामिल है कि अमेरिका चीनी छात्रों को वीज़ा सुविधा देगा, जिससे उन्हें अमेरिकी यूनिवर्सिटीज़ में दाखिला मिलने में आसानी होगी।
ट्रम्प ने इसे “शैक्षिक और वैश्विक सहयोग का एक नया अध्याय” बताया।
ट्रम्प का बयान क्या कहता है
डोनाल्ड ट्रम्प ने इस डील को “एक शानदार सफलता” करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिका को आर्थिक मजबूती मिलेगी और चीनी बाजार पर निर्भरता भी संतुलित होगी। ट्रम्प ने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक “सप्लीमेंट्री डील” है जो rare earths और सुरक्षा दोनों पहलुओं को कवर करती है।
इस डील का संभावित असर
- चीनी वस्तुएं अब अमेरिका में महंगी होंगी, जिससे घरेलू उत्पादकों को बढ़ावा मिलेगा।
- टेक्नोलॉजी और रक्षा क्षेत्र को rare earth सामग्री की निरंतर सप्लाई सुनिश्चित होगी।
- छात्रों को वीज़ा की छूट मिलने से शैक्षणिक साझेदारी मजबूत होगी।
- ट्रेड घाटा कम करने में मदद मिल सकती है।

अंतिम मंजूरी शेष
यह डील ट्रम्प और शी जिनपिंग के अंतिम हस्ताक्षर के बाद ही औपचारिक रूप से लागू होगी। दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और संकेत दिए हैं कि डील अगले कुछ दिनों में प्रभावी हो सकती है। US‑China Deal केवल एक व्यापार समझौता नहीं, बल्कि रणनीतिक संतुलन का प्रतीक बन रही है। 55% टैरिफ के बदले rare earth सप्लाई और शैक्षणिक सहयोग जैसे बिंदु दर्शाते हैं कि अमेरिका इस डील को एक बहु-आयामी जीत मान रहा है।