US Court Decision: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक बार फिर कानूनी झटका लगा है। मैनहेटन की संघीय न्यायालय ने ट्रंप द्वारा लगाए गए लिबरेशन डे टैरिफ को असंवैधानिक करार देते हुए इस पर रोक लगा दी है। न्यायालय का कहना है कि यह कदम संविधान के प्रतिकूल है और राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां इस प्रदेश में लागू नहीं होतीं।
संविधान का उल्लंघन, कोर्ट की दो टूक टिप्पणी
न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा:
“संविधान के अनुच्छेद के मुताबिक, सिर्फ़ अमेरिकी कांग्रेस को अन्य देशों के साथ वाणिज्य को नियंत्रित करने का अधिकार है। राष्ट्रपति का यह आदेश संवैधानिक सीमाओं से बाहर है।”
यह फैसला दो बड़े मुकदमों के बाद आया है:
- लिबर्टी जस्टिस सेंटर द्वारा पांच अमेरिकी व्यवसायों की ओर से
- 13 अमेरिकी राज्यों द्वारा दाखिल याचिका
दोनों ही मामलों में टैरिफ़ से व्यापार को नुकसान पहुंचने की बात कही गई थी।
व्यापारिक टकराव का असर और चीन पर केंद्रित नीति
US Court Decision: 2 अप्रैल को ट्रंप ने उन देशों पर 10% बेसलाइन शुल्क लागू किए थे जिनके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा सबसे अधिक था। इसका मुख्य निशाना चीन और यूरोपीय संघ रहे। ट्रंप का तर्क था कि ये शुल्क अमेरिका की विनिर्माण क्षमता को बहाल करने में मदद करेंगे।
हालांकि, इसका सीधा प्रभाव अमेरिकी फाइनेंशियल मार्केट पर पड़ा और छोटे व्यवसायों की प्रतिस्पर्धा पर भी।
ट्रंप प्रशासन का बचाव और 7 जुलाई की डेडलाइन
ट्रंप प्रशासन ने कोर्ट में दलील दी कि:
- यह फैसला असमान वैश्विक व्यापार संतुलन को प्रभावित करेगा
- इससे भारत-पाक व्यापार संघर्ष और चीन के साथ वार्तालाप में बाधा आ सकती है
- 7 जुलाई तक कई व्यापार समझौते अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं
इसके बावजूद कोर्ट ने संविधान की मर्यादा को प्राथमिकता दी।
दिन की टैरिफ नरमी और आगे की राह
12 मई को अमेरिका और चीन ने आपसी सहमति से 90 दिनों के लिए शुल्क में नरमी बरतने का निर्णय किया। लेकिन न्यायालय के इस निर्णय से आगे की व्यापार वार्ताओं पर असर पड़ सकता है। साथ ही, अन्य पांच कानूनी चुनौतियाँ अब भी न्यायालयो में लंबित हैं