जानिए मुहूर्त और पूजन विधि
वैशाख अमावस्या पर श्राद्ध और तर्पण कैसे करना चाहिए, मुहूर्त और पूजन विधि कैसी होनी चाहिए, इस लेख के जरिए आपको हम सबकुछ बताएंगे। इस बार आज यानी की 27 अप्रैल को वैशाख माह की अमावस्या मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है। इस दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व माना जाता है। वैशाख अमावस्या जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाता है। तो आइए जानते हैं वैशाख अमावस्या पर स्नान-दान का मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व के बारे में…
शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि पर पूरा दिन धार्मिक कार्यों के लिए शुभ मानी जाती है। लेकिन कुछ विशेष मुहूर्त दान के लिए शुभ माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:10 मिनट से सुबह 04:52 मिनट तक था। वहीं दोपहर 12:11 मिनट से लेकर दोपहर 01:02 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है। इस अवधि में स्नान-दान के लिए शुभ है।
पूजाविधि
वैशाख अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें। अगर संभव हो तो इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें और यदि ऐसा संभव नहीं है तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद हरे रंग के कपड़े धारण करें और फिर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा संपन्न करें। सूर्य देव को जल अर्पित करें और व्रत का संकल्प लें। संकल्प के बाद पितरों के नाम का तर्पण करें। तर्पण में कुश, तिल, जल और दूध का उपयोग किया जाता है।
महत्व
बता दें कि वैशाख अमावस्या पर पितरों की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। वहीं अमावस्या पर भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। वहीं पवित्र नदियों में स्नान करके गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
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