वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह शुभ तिथि 24 अप्रैल 2025, गुरुवार को पड़ रही है। भगवान विष्णु की आराधना और व्रत का इस दिन खास होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस उपवास को विधिपूर्वक करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और मुक्ति प्राप्त होता है।
व्रत का महत्व और शुभ मुहूर्त
इस पावन एकादशी पर व्रत करने से दस हजार वर्षों के सख्त तपस्या के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। विशेष कर इस दिन अन्न दान और कन्या दान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। मंगल मुहूर्त में भगवान विष्णु की आराधना-अर्चना कर व्रत करने से जिन्दगी में सुख, शांति और संपन्नता आती है।
वरुथिनी एकादशी 2025: पौराणिक कथा

प्राचीन काल में नर्मदा नदी के किनारे मान्धाता नामक राजा तपस्या कर रहे थे। तप के दौरान एक रीछ ने उनके पैर पर आक्रमण कर दिया। जख्मी अवस्था में राजा ने भगवान विष्णु का पुकार किया। प्रभु विष्णु ने प्रकट होकर रीछ का वध किया और बताया कि यह पीड़ा उनके पूर्व जन्म के पापों का नतीजा है। उद्धार का उपाय बताते हुए भगवान ने राजा को वरुथिनी एकादशी का व्रत करने का हिदायत दिया। व्रत का प्रभाव ऐसा हुआ कि राजा का पैर दोबारा से पूर्णतः स्वस्थ हो गया।
व्रत के नियम और अनिवार्य सावधानियां
इस दिन कांसे के बर्तन में भोजन करने से बचना चाहिए और मांसाहार, मसूर दाल, चना, कोदो, शाक और शहद का सेवन वर्जित है। व्रती को दिन में एक ही बार सात्त्विक भोजन करना चाहिए और एकाग्रता का पालन करना चाहिए। दूसरे के अन्न का सेवन भी निषिद्ध माना गया है। व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर सही विधि से करना आवश्यक है।
सच्चे मन से विधिपूर्वक वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति भयमुक्त होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।