Vat Savitri Vrat 2025: अखंड सौभाग्य के लिए व्रत और पूजा

By digital | Updated: May 24, 2025 • 3:44 PM

Vat Savitri Vrat: हिंदू पंचांग के मुताबिक, वट सावित्री व्रत इस वर्ष 26 मई 2025, सोमवार को रखा जाएगा। यह पर्व विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए अधिक मंगल और लाभदायक माना जाता है।

इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार कर विधिपूर्वक वट वृक्ष की आराधना करती हैं।

व्रत का धार्मिक महत्व और फल

वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) में बरगद (वट) वृक्ष की आराधना का विशिष्ट महत्व है। मान्यता है कि इस वृक्ष में त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। व्रती महिलाएं बरगद के पेड़ की सात बार परिक्रमा करती हैं और कच्चे सूत से उसे लपेटती हैं।

कच्चा सूत बांधने की परंपरा

बरगद वृक्ष पर सात बार कच्चा सूत लपेटने की परंपरा का अर्थ है कि पति-पत्नी का संबंध सात जन्मों तक अटूट बना रहे। यह प्रक्रिया पति की लंबी उम्र, पारिवारिक सुख-शांति और अखंड सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है।

पौराणिक कथा: सावित्री और सत्यवान की अमर गाथा

पौराणिक कथा के मुताबिक, माता सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे। यह वाकया वट वृक्ष के नीचे घटित हुई थी। सावित्री की निष्ठा और तप से प्रसन्न होकर यमराज ने उन्हें उनके पति के प्राण और 100 पुत्रों का वरदान दिया। तभी से इस व्रत की परंपरा प्रारंभ हुई।

व्रत करने की विधि और सावधानियां

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. सोलह श्रृंगार करें और निर्जला व्रत रखें।
  3. बरगद पेड़ के नीचे दीपक, फल, मिष्ठान्न और जल अर्पित करें।
  4. सात बार परिक्रमा कर कच्चा सूत बांधें।

सावित्री-सत्यवान कथा का श्रवण करें।

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